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बिहार : चाइनीज लाइटों की चमक फीकी, देसी दीये सुपरहिट

पटना में चाइनीज लाइटों की बिक्री घटी, देसी दीये की मांग बढ़ी

Published
भारत
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अंधेरे पर उजाले के प्रतीक दिवाली पर्व पर भले ही पिछले कुछ वर्षो में बिजली बल्बों के आगे दीये को उपेक्षा झेलनी पड़ी हो, लेकिन इस वर्ष दीये को महत्व मिलता नजर आ रहा है. चाइनीज लाइटों की आमद तो है, मगर इसकी बिक्री जोर नहीं पकड़ रही.

ऐसा नहीं है कि इस साल रोशनी के इस पर्व पर ड्रैगन लाइटों (चाइनीज लाइट) को कोई पूछ नहीं रहा है, लेकिन चाइनीज आइटमों के बहिष्कार को लेकर चल रही मुहिम के बीच मिट्टी के दीयों की बिक्री पिछले सालों के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है. कुम्हार भी इस साल साधारण के साथ-साथ फैंसी दीये बनाकर बाजार में पहुंचे हैं.

पटना में चाइनीज लाइटों की बिक्री घटी, देसी दीये की मांग बढ़ी

दिवाली को लेकर सजे बाजार झालर, बल्ब और मटका समेत रोशनी के कई आइटमों से पटा है, लेकिन इसमें चीन निर्मित सामान की संख्या काफी कम है.

झालर और बल्ब कारोबार से जुड़े पटना के चांदनी मार्केट के व्यवसायी विपिन कुमार कहते हैं कि इस वर्ष ज्योति पर्व पर घरों को रोशन करने के लिए बाजार में जेल राइस, पाइप लाइट, दीया लाइट, उड़हुल फूल और मिर्ची झालर के साथ दर्जनों आइटम हैं. लेकिन चीन निर्मित समान के खरीदार कम आ रहे हैं.

इस दिवाली में मिट्टी के दीयों में 'रोशनी' की उम्मीद जगमगाई है। इससे थोड़ी ही सही, कुम्हारों के चेहरे पर मुस्कान लौट गई है.

पटना में चाइनीज लाइटों की बिक्री घटी, देसी दीये की मांग बढ़ी
राजा बाजार के फुटपाथ पर मिट्टी के दीये बेच रहीं वंदना प्रजापति बताती हैं कि इस बार तो लोगों को आकर्षित करने के लिए रंग-बिरंगे दीयों के साथ आकर्षक मंदिर भी बनाए हैं. मिट्टी का भाव काफी बढ़ गया है, फिर भी इनकी कीमत ज्यादा नहीं है. इधर, आनंद प्रकाश प्रजापति कहते हैं कि इस वर्ष दीये एवं अन्य मिट्टी के सामान की बिक्री बढ़ी है. मिट्टी के दीयों को आकर्षक बनाने की कोशिश की गई है.

खरीदार भी मिट्टी के दीये की रोशनी में दिवाली मनाने को लेकर उत्साहित हैं. स्थानीय निवासी संध्या सिंह कहती हैं, "दिवाली का उल्लास दीयों से दोगुना हो जाता है. जब आकर्षक दीये उपलब्ध हैं, तो क्यों चाइनीज आइटम खरीदें. इस बार स्वदेशी उत्पादों से दिवाली मनाएंगे."

दीये से नो प्रदूषण

पर्यावरणविद् एस़ चौधरी कहते हैं कि दीया पर्यावरण की दृष्टि से भी सही है. सोशल मीडिया समेत हर माध्यम से चीनी सामान का विरोध हो रहा है. चौधरी कहते हैं कि मिट्टी के दीये के इस्तेमाल से एक फायदा यह भी है कि यह बिजली के रेडिएशन और प्रदूषण से लोगों को बचाता है.

पटना कॉलेज के प्राचार्य रहे प्रो़ एऩ क़े चौधरी कहते हैं कि उरी आतंकी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन के पाकिस्तान के साथ होने से लोगों में चाइनीज आइटमों के खिलाफ आक्रोश है. धार्मिक और पौराणिक कारणों से भी मिट्टी के दीये जलाना फायदेमंद है.

1 रुपए से 5 रुपए तक है कीमत

पटना में चाइनीज लाइटों की बिक्री घटी, देसी दीये की मांग बढ़ी

दीया दुकानदार बताते हैं कि बाजार में कई प्रकार के दीये उपलब्ध हैं. साधारण दीया जहां एक रुपये में मिल रहा है, वहीं बड़े दीये दो से तीन रुपये में उपलब्ध हैं. मिट्टी के फैंसी दीये तीन से पांच रुपये में और मिट्टी के मंदिर 50 से 200 रुपये में मिल रहे हैं.

दुकानदारों का कहना है कि रंगीन दीये के दो फायदे हैं. एक तो ये आकर्षक दिखते हैं, दूसरा इसमें तेल की खपत भी कम होती है. रंग लगने के बाद मिट्टी के दीये तेल को सोखते नहीं.

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