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Paytm रंगदारी केसः आरोपी की याचिका ने खड़े किए कई सवाल

पेटीएम रंगदारी केस से जुड़े कुछ अनसुलझे सवाल

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बीते महीने पेटीएम रंगदारी का मामला सामने आया. शुरुआत में ये किसी रंगदारी मांगे जाने के मामले के जैसा ही आम मामला लगा, लेकिन अब ये केस काफी पेचीदा नजर आ रहा है.

सुर्खियों में रहे इस मामले के बारे में हम क्या जानते हैंः 22 अक्टूबर को तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, इनमें पेटीएम के दो बड़े अधिकारी भी शामिल थे. इन लोगों पर पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा से 20 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप था.

गिरफ्तार किए गए पेटीएम के दो अधिकारियों में सोनिया धवन भी शामिल थी. सोनिया धवन के ट्विटर अकाउंट के मुताबिक, वह पेटीएम के कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट को हेड कर रही थीं. इससे पहले वह काफी वक्त तक विजय शेखर शर्मा की सेक्रेटरी भी रहीं.

धवन के अलावा जिन दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें रूपक जैन (सोनिया धवन के पति) और पेटीएम का ही एक अन्य कर्मचारी देवेंद्र कुमार शामिल थे.

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हालांकि इन तीनों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने एक नया खुलासा किया. इसमें पुलिस ने बताया कि इस रंगदारी मामले में एक चौथा व्यक्ति भी है, जो इस घटना का मास्टरमाइंड है.

पुलिस के मुताबिक, इस मामले में चौथा आरोपी रोहित चोमवाल था, इसी ने विजय शेखर के भाई अजय को रंगदारी का कॉल किया था. ये कॉल 20 सितंबर को किया गया था. चोमवाल ने विजय शेखर शर्मा के भाई को कॉल करके कंपनी का डेटा लीक करने की धमकी दी. साथ ही कंपनी का डेटा लीक न करने के ऐवज में उनसे 10 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी.

इसके बाद विजय शेखर शर्मा ने कथित तौर पर 15 अक्टूबर को आरोपी के खाते में दो लाख रुपये भी ट्रांसफर किए. सोनिया धवन और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि चोमवाल अब तक गिरफ्त से बाहर है.

चोमवाल बीते 1 नवंबर को दर्ज कराई गई एफआईआर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे थे. 12 नवंबर को हाईकोर्ट ने चोमवाल की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पहली नजर में यह संज्ञेय अपराध लगता है और इस मामले में दर्ज एफआईआर में दखल देने का कोई अपराध नहीं बनता. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि चोमवाल को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, जब तक कि जांच अधिकारी उनके खिलाफ विश्वसनीय साक्ष्य जमा नहीं कर लेते.

द क्विंट से हुई बातचीत में रोहित चामवाल के वकील मनीष त्रिवेदी ने बताया:

जो एफआईआर पुलिस ने दर्ज की है, वो मेरे मुवक्किल पर आरोप भी लगाती है और उन्हें दोषमुक्त भी ठहराती है. दूसरे शब्दों में कहें, तो एक तरफ यह कहा जा रहा है कि मेरे मुवक्किल चोमवाल ने दोनों से रंगदारी मांगी थी, वहीं ये भी कहा जा रहा है कि उन्‍होंने विजय शेखर शर्मा और उनके भाई को इस मामले में हुई गिरफ्तारियों को लेकर चौकन्ना किया था.

चोमवाल के वकील ने बताया कि उनके मुवक्किल ने मामले के असली आरोपी तक पहुंचने में पेटीएम के बॉस की मदद की थी, लेकिन उन्हें पुलिस ने फर्जी तरीके से फंसा दिया. वकील ने कहा, ''इसलिए हमने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर खारिज कराने की अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट से की है.''

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याचिका में क्या कहा गया है?

याचिका में इस पूरे मामले का ब्योरा दिया गया है कि रंगदारी मांगने की योजना कैसे तैयार की गई थी. याचिका में कहा है कि आरोपियों तक पहुंचने में मदद करने के बावजूद याचिकाकर्ता चोमवाल को शिकायतकर्ता अजय शेखर शर्मा ने झूठे आरोपों में फंसाया है. यह याचिकाकर्ता को ‘बलि का बकरा’ बनाकर दूसरे आरोपियों के खिलाफ केस को मजबूत बनाने की कोशिश है.

चोमवाल ने याचिका में कहा, '‘पुलिस ने FIR में जिस ICICI बैंक के अकाउंट में शर्मा से पैसे लेने का मुझ पर आरोप लगाया है, वह किसी दूसरे ट्रस्ट का अकाउंट है. उसका मुझसे कोई लेना-देना नहीं है.’'

चोमवाल ने कहा है कि वह कोलकाता में 'द होली काउ फाउंडेशन' नाम से ट्रस्ट चलाते हैं, जो गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराती है. याचिका में चोमवाल ने कहा है कि देविंदर कुमार ने जून 2018 में उनसे संपर्क करके कहा था कि वह उनके एनजीओ के लिए पेटीएम से डोनेशन दिलवा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें डोनेशन का 50 पर्सेंट हिस्सा उसे वापस करना होगा.

जब चोमवाल के NGO को बताई गई डोनेशन की रकम नहीं मिली, तो उसने देवेंदर कुमार को कॉल किया. इस पर उसे कहा गया कि वह खुद दिल्ली आकर विजय शेखर शर्मा से मिल ले. जब चोमवाल दिल्ली आए, तो उन्हें विजय शेखर शर्मा के बजाय रूपक जैन से मिलाया गया.

चोमवाल ने कहा, "रूपक जैन ने देवेंदर कुमार के साथ याचिकाकर्ता को मनाने की कोशिश की, ताकि वह पेटीम के मालिक विजय शेखर शर्मा से रंगदारी निकालने में मदद कर सके, जिस पर याचिकाकर्ता (चोमवाल) ने इनकार कर दिया और कोलकाता वापस चले गए."

चोमवाल को फिर से कथित तौर पर देवेंदर कुमार ने संपर्क किया था और शिकायतकर्ता विजय शेखर शर्मा के भाई पर रंगदारी मांगने के लिए दवाब डालने को कहा. चोमवाल ने इससे फिर इनकार कर दिया और बाद में शिकायतकर्ता (अजय शेखर शर्मा) और उनके भाई विजय शेखर शर्मा को बुलाया और उन्हें इस साजिश और आरोपी व्यक्तियों के बारे में बताया.

इसके बाद पेटीएम ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें डेटा चोरी का आरोप लगाया गया. इसमें कहा गया कि रंगदारी देने के बदले डेटा सौंपने की बात की गई थी, लेकिन डेटा किस तरह का और कौन सा था, यह कभी नहीं बताया गया.

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FIR में क्या आरोप लगाया गया है?

याचिकाकर्ता के मुताबिक, पेटीएम की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है, ''FIR में आरोप लगाया गया है कि सोनिया धवन, रूपक जैन और देवेंदर कुमार ने शिकायतकर्ता अजय शेखर शर्मा और पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा के कम्प्यूटर से निजी और गोपनीय डेटा चुराया था. इन तीनों के कहने पर ही चोमवाल ने विजय शेखर शर्मा को वॉट्सऐप कॉल किया. चोमवाल ने ही कॉल पर कहा कि उसके पास उनका निजी और गोपनीय डेटा है और वह उसे लीक कर देगा. इससे उन्हें बिजनेस ट्रांजेक्शन और निजी और सार्वजनिक जीवन में बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा. डेटा लीक न करने के ऐवज में चोमवाल ने 20 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी.''

इसके अलावा, इस कथित डेटा के बारे में, "बाद में यह बताया गया है कि शिकायतकर्ता ने एफआईआर में अपने कंप्यूटर से चोरी किए गए डेटा की प्रकृति का खुलासा नहीं किया है, क्योंकि यह बैंकिंग लेनदेन के संबंध में कोई डेटा था, तो यह धोखाधड़ी का मामला होता, बजाय रंगदारी मांगने का."

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कुछ अनसुलझे सवाल?

याचिका पर गौर करें, तो विजय शेखर शर्मा और आरोपी रोहित चोमवाल, दोनों ने अब तक जो कुछ सवाल उठाए हैं, वो अब तक अनसुलझे बने हुए हैं.

याचिका की शुरुआत में FIR का जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है, ''शर्मा के कम्प्यूटर से निजी और गोपनीय डेटा चोरी किया गया.'' चोमवाल ने वॉट्सऐप कॉल के जरिए विजय शेखर शर्मा और अजय शेखर शर्मा से 20 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी. ये रंगदारी ICICI बैंक के एक अकाउंट में जमा कराने को कहा गया था. याचिका में भी बैंक अकाउंट नंबर का जिक्र किया गया है. इसके बाद विजय के भाई अजय ने इस अकाउंट में पहले 67 रुपये डिपॉजिट किए और बाद में इसी अकाउंट में 2 लाख रुपये डिपॉजिट कराए.

याचिका में दी गई जानकारी का यह छोटा सा हिस्सा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका मतलब है कि जो लोग रंगदारी की मांग कर रहे थे, वे वास्तव में इतने मूर्ख थे कि उन्होंने रंगदारी के लिए बैंक का अकाउंट नंबर दिया, जिसका पुलिस आसानी से पता लगा सकती थी. साथ ही इसलिए उन्हें पकड़ भी लिया गया या फिर इस केस में कुछ ऐसा है, जिसे पेटीएम ने अब तक सार्वजनिक नहीं किया है.

इसी तरह, अगर चोमवाल वाकई रंगदारी की मांग कर रहे थे, तो फिर उन्होंने धवन और दूसरों के बारे में पेटीएम के मालिकों को क्यों बताया था?

चोमवाल के पास भी कुछ सवाल ऐसे हैं, जिनका जवाब देने में वह अब तक नाकाम रहे हैं. याचिका में उन्होंने साफ तौर पर कहा है देवेंदर कुमार ने उनसे NGO होली काउ फाउंडेशन को डोनेशन दिलाने के लिए संपर्क किया था. जब डोनेशन नहीं आया, तो चोमवाल ने दोबारा देवेंदर कुमार से संपर्क किया और बिना कुछ किए वह इस रंगदारी मांगने के मामले में फंसते चले गए. लेकिन याचिकाकर्ता चोमवाल ने यह साफ नहीं किया कि देवेंदर कुमार से उनका किस तरह का रिश्ता था और क्यों चोमवाल को ही पेटीएम मालिकों से पैसा उगाहने के लिए चुना गया.

इस बीच, मामले की जांच कर रही पुलिस को चोमवाल पर हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद इस केस को क्रैक करने का पूरा भरोसा है. जल्द ही वह इस मामले में चार्जशीट दाखिल करेगी.

हालांकि पुलिस ने धवन और उसके सहयोगियों द्वारा कथित तौर पर चुराए गए डेटा के टाइप के बारे में चुप्पी साध रखी है.

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