सुप्रीम कोर्ट में कश्मीर टाइम्स की एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन की एक याचिका पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के दखल देने के फैसले को लेकर कई पत्रकारों ने बयान जारी किया है. इस बयान में पत्रकारों ने PCI को उसकी जिम्मेदारी बताते हुए अपील की है कि वो भसीन की याचिका का समर्थन करे.
बता दें कि भसीन ने अपनी याचिका में जम्मू-कश्मीर में संचार माध्यमों पर लगाई गई पाबंदी हटाने की मांग की थी. इसके साथ ही उनकी याचिका में कहा गया कि इस पाबंदी से पत्रकारों को अपनी पेशेवर जिम्मेदारी निभाने में परेशानी हो रही है. हालांकि PCI ने संचार माध्यमों पर पाबंदी को सही ठहराते हुए कहा कि सुरक्षा कारणों से मीडिया पर तर्कसंगत रोक लगाई गई है.
PCI के इस रुख पर पत्रकारों ने अपने बयान में कहा है कि कश्मीर में पत्रकार आर्टिकल 370 के बेअसर होने के बाद की स्थिति पर स्वतंत्रता से रिपोर्टिंग नहीं कर पा रहे हैं.
इस बयान में कहा गया है- ‘’5 अगस्त से कश्मीर में संचार माध्यमों पर पाबंदियां लगी हुई हैं. तब से ही स्वतंत्र रूप से अखबार छपकर नहीं बंटे हैं. पत्रकारों को खबरें नहीं मिल पा रही हैं.’’
इसके साथ ही पत्रकारों के बयान में कहा गया है, ''सरकार लगातार दावा कर रही है कि कश्मीर में शांति है. हालांकि, इंडिपेंडेंट मीडिया समूहों ने विरोध-प्रदर्शनों और आम नागरिकों में गुस्से के सबूत जुटाए हैं. मगर इंटरनेट पर रोक की वजह से ऐसी खबरें आगे नहीं बढ़ पा रहीं.''
पत्रकारों ने कहा है कि भसीन की याचिका पर PCI के रुख से लगता है कि वो अपनी उस संवैधानिक जिम्मेदारी से भाग रही है, जिससे तहत उसे प्रेस की आजादी के लिए मजबूती और निडरता से खड़ा रहना चाहिए, सही मायने में यही जिम्मेदारी राष्ट्र के हित में है.
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