पिछले साल कश्मीर में जब भारी हिंसा के हालात थे, उस वक्त अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते को राज्य सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर नौकरी दी थी. राज्य सरकार ने इस मामले में अपनी सफाई देते हुए कहा है कि नियमों में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पीडीपी-बीजेपी गठबंधन ने, अनीस-उल-इस्लाम को जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग की सहयोगी संस्था शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में रिसर्च ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया.
इस नौकरी में हर महीने 1 लाख रुपये सैलरी के साथ पेंशन की भी सुविधा है. राज्य सरकार पर आरोप है कि ये नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर की गई है.
रिक्रूटमेंट एजेंसियों को नहीं दी गई थी जानकारी
इस पद के लिए वैकेंसी की जानकारी जम्मू-कश्मीर स्टेट सबऑर्डिनेट सर्विसेज रिक्रूटमेंट बोर्ड या पब्लिक सर्विस कमीशन के पास नहीं भेजी गई थी जो कि नियमों का उल्लंघन है. SKICC के एक अधिकारी ने बताया कि पयर्टन सचिव ने पहले ही अनीस-उल-इस्लाम को चुन लिया था.
SKICC ने दी है सफाई !
पर्यटन विभाग की सहयोगी विंग SKICC ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है - चयन एकदम पारदर्शी तरीके से किया गया है और आरटीआई के जरिए कोई भी इन फाइलों तक पहुंच सकता है. SKICC के मुताबिक इस पद के लिए 196 लोगों ने आवेदन किया था जिसमें से 35 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया.
सरकार ने इस पर अपनी सफाई में कहा है कि सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते की नियुक्ति सभी नियमों और मेरिट को ध्यान में रखकर ही हुई है.
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