भारत में 18 जुलाई को सोशल मीडिया पर खबरें उड़ीं कि स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) के इस्तेमाल से जुड़ी एक अहम रिपोर्ट पब्लिश होने वाली है. इन खबरों को बल तब मिला जब सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने इसके बारे में ट्वीट किया और लिखा कि 'मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्रियों, आरएसएस नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के जजों के फोन टैप करने के लिए पेगासस की सेवाएं ली गई हैं.' हालांकि, लेखक और बीजेपी के साथ काम कर चुके शिवम शंकर सिंह ने कुछ अहम सवाल उठाए हैं.
शिवम ने ट्विटर पर लिखा कि 'जो लोग जासूसी कर रहे हैं, वो कौन हैं?' शिवम ने कहा, "हम जानते हैं कि वो सरकार है लेकिन उसमें कौन? ये लोग गृह मंत्रालय के तहत हो सकते हैं लेकिन किसी को देखना चाहिए कि असल में कौन हैं."
"याद रखिए कि एक लाइसेंस की कीमत 7-8 मिलियन डॉलर है और एक लाइसेंस 50 फोन पर इस्तेमाल हो सकता है. ये कॉल, मैसेज, माइक्रोफोन, कैमरा रिमोट एक्टिवेशन जैसा सभी डेटा देता है."शिवम शंकर सिंह
शिवम का कहना है कि इतना डेटा देखने के लिए बड़ी टीम की जरूरत होगी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "ये बातचीत में ऑटोमेटिकली कीवर्ड ढूंढने वाला मास सर्विलांस नहीं है. ये लोगों के छोटे समूहों पर केंद्रित और पूरी निगरानी है. कोई मैनुअली इसे देख रहा है."
'सर्विलांस करने वाला सरकारी स्टाफ है?'
शिवम शंकर सिंह ने कहा कि इन सवालों के जवाब चौंकाने वाले हो सकते हैं. उन्होंने कहा, "इस प्रोजेक्ट को कोई ऐसा लीड कर रहा होगा जिस पर नेतृत्व भरोसा कर सके, जिस पर उनका पूरा नियंत्रण होगा."
'क्या वो सरकारी स्टाफ है, या ये सब आउटसोर्स कराया गया है? सेफगार्ड क्या है? ये गैरकानूनी सरकारी सर्विलांस है."शिवम शंकर सिंह
शिवम ने ट्विटर पर लिखा, "स्थिति और भी खराब इसलिए है क्योंकि गारंटी नहीं है कि डेटा सरकार के पास ही रहे. क्या होगा अगर इसे निजी बिजनेस हितों के लिए बेचा गया हो या जजों, मंत्रियों और अधिकारियों से लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल किया गया हो? या फिर विदेशी हाथों में बेचा गया हो?"
"वो लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर जानकारी छुपाने की कोशिश करेंगे लेकिन राजनीतिक नियंत्रण के लिए उनका गैरकानूनी सर्विलांस असल में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है."शिवम शंकर सिंह
शिवम ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है इसे संसद में उठाया जाएगा. उन्होंने मीडिया से इस पर जोर देने की अपील की.
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