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Pegasus Project: जासूसी केंद्र ने नहीं की तो क्या किसी विदेशी सरकार ने की?-थरूर

Pegasus Project में अवैध जासूसी किसने की, क्यों की, इसकी जांच होनी चाहिए-शशि थरूर?

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भारत
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने 'पेगासस प्रोजेक्ट' (Pegasus Project) में सामने आए 40 भारतीय पत्रकारों के फोन की जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की है. फॉरबिडन स्टोरीज, एमनेस्टी इंटरनेशनल और तकरीबन 16 मीडिया संस्थानों ने मिलकर खुलासा किया है कि दुनियाभर में सरकारों ने पत्रकारों, मंत्रियों और अधिकारियों की जासूसी के लिए इजरायली कंपनी NSO के स्पाइवेयर पेगासस (Pegasus) का इस्तेमाल किया.

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क्विंट को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में, डॉ शशि थरूर ने कहा कि ये मामला गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, "ये चिंता का विषय है क्योंकि हम एक लोकतंत्र हैं, यहां अभिव्यक्ति की आजादी है, आप ये उम्मीद नहीं करते कि सरकार पत्रकारों के काम में हस्तक्षेप कर रही है." थरूर ने कहा कि ये कुछ बहुत गंभीर सवाल उठाता है कि इस सॉफ्टवेयर को भेजने वाले लोग कैसे काम कर रहे थे.

"मुझे नहीं पता कि सरकार ने ऐसा करने के लिए कोई जिम्मेदारी ली है या नहीं. NSO का दावा है कि वो इसे केवल सरकारों को बेचते है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत सरकार ने ऐसा किया या कोई विदेशी सरकार भारतीय फोन टैप कर रही है?"
शशि थरूर, कांग्रेस सांसद
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थरूर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में जासूसी के कुछ अपवाद हमने देखे हैं, इनकी एक औपचारिक प्रक्रिया होती है, रिव्यू कमेटी से अनुमति लेनी होती है, लेकिन एक्ट के सेक्शन 43 में हैकिंग स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है. उन्होंने कहा, "अगर पत्रकारों के फोन में पेगासस भेजा गया है, तो ये निश्चित रूप से गैरकानूनी है."

स्वतंत्र जांच की मांग

आईटी पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष, शशि थरूर ने मांग है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. थरूर ने सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा जांच की मांग करते हुए कहा, "ये स्पष्ट होता जा रहा है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच की जरूरत है, शायद सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा, जिसके पास न केवल गवाहों को बुलाने की शक्ति होगी, बल्कि न्यायिक तरीके से सबूतों को देखने की भी शक्ति होगी."

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