14 विपक्षी दलों ने संसद में पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Snoopgate) पर चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह से जवाब की मांग की है. विपक्षी दलों ने कहा कि ये मामला "राष्ट्रीय सुरक्षा" से जुड़ा है. सरकार को 'अहंकारी' और 'अड़ियल' बताते हुए, दलों ने सरकार से लोकतंत्र का सम्मान करने और चर्चा को स्वीकार करने का आग्रह किया.
विपक्षी दलों ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने विपक्षी दलों की छवि खराब करने के लिए भ्रामक अभियान शुरू किए और इसे संसद में व्यवधान के लिए जिम्मेदार बता रही है.
बयान में कहा गया है कि गतिरोध के लिए जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की है, जो अभिमानी और अडिग रहती है और दोनों सदनों में बहस के लिए विपक्ष की मांग को स्वीकार करने से इनकार करती है.
विपक्षी दलों ने मांग की है कि सरकार लोकतंत्र का सम्माम करे और चर्चा को स्वीकार करे.
क्या है पेगासस जासूसी मामला?
इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से दुनियाभर के 10 देशों में करीब 50,000 नंबरों को संभावित सर्विलांस या जासूसी का टारगेट बनाया गया. लीक हुए डेटाबेस में 300 भारतीय फोन नंबर हैं.
जांच में सामने आया है कि भारत में करीब 40 पत्रकारों पर जासूसी की गई. संभावित टारगेट लिस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह का नाम भी शामिल था.
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाने वाली महिला और उसके रिश्तेदारों का नंबर भी लिस्ट में शामिल था. BSF के दो अधिकारी, RAW के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय सेना के कम से कम दो अफसरों को संभावित सर्विलांस का टारगेट चुना गया था.
पेरिस स्थित नॉनप्रॉफिट मीडिया फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास लीक हुए नंबरों की लिस्ट थी, जिसे बाद में उन्होंने द वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन, ले मोंडे और द वायर समेत दुनियाभर के करीब 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरू हुई. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' नाम दिया गया है.
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