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पहलू खान के बेटों ने कहा-मां को अब सुकून है,अब्बा को मिल जाए इंसाफ

3 अप्रैल, 2017 को इलाज के दौरान पहलू खान की मौत हो गई थी

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राजस्थान हाईकोर्ट के पहलू खान और उनके दोनों बेटों के खिलाफ दर्ज पशु तस्करी के आरोप को रद्द कर दिया है. खान के बेटे इरशाद ने द क्विंट से कहा, 'हम बहुत खुश हैं कि ये केस रद्द कर दिया गया है.'

पहलू खान और उनके बेटे 1 अप्रैल 2017 को उस वक्त साथ थे, जब एक भीड़ ने उन पर पशु तस्करी के संदेह पर हमला कर दिया था.

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इन तीनों के साथ दो और चश्मदीद रफीक और अजमत भी मौजूद थे. ये दोनों ही पहलू खान के पड़ोसी हैं और भीड़ ने इन्हें भी मारा था. रफीक और अजमत अभी भी पशु तस्करी के आरोप का सामना कर रहे हैं. इरशाद और आरिफ तो अब राहत की सांस ले सकते हैं, लेकिन रफीक और अजमत अब भी परेशान हैं.

फैसले से पहलू के परिवार को राहत?

इस फैसले के बाद अब पहलू के दोनों बेटों, आरिफ और इरशाद खान को मिलेगी, जो उस वक्त पिता पहलू खान के साथ मौजूद थे जब उनपर हमला हुआ. कोर्ट ने उनके खिलाफ FIR नंबर 253/17 को खारिज कर दिया है.

‘मेरी मां और हम सभी भाई-बहनों को इस केस के कारण जयपुर, अलवर और बेहरोर जाना पड़ता था. अब, ये केस हमारे ऊपर लटका नहीं है.’
इरशाद खान

उन्होंने आगे कहा कि इस केस के कारण घर से दूर जाने में भी डर लगता था. उन्होंने कहा, 'काफी दबाव था और घर से ज्यादा दूर जाने में भी डर लगता था. अब हम राहत महसूस कर रहे हैं, हमारी मां को भी अब सुकून है. इंशाअल्लाह, हमें हमारे अब्बा के केस में भी न्याय मिलेगा.'

इरशाद का कहना है कि ये केवल इसलिए हुआ है क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है.

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पहलू खान के दो केस

1 अप्रैल 2017 को पहलू खान को कथित रूप से पशु तस्करी के शक में कुछ लोगों ने बेरहमी से पीटा. 3 अप्रैल को इलाज के दौरान पहलू खान ने दम तोड़ दिया.

इसके बाद दो FIR फाइल की गई थी. एक पहलू खान और उसके दोनों बेटों के खिलाफ पशु तस्करी के आरोप में, दूसरी उन लोगों के खिलाफ जिन्होंने पहलू खान को पीटा, जिससे उनकी जान चली गई.

जयपुर हाईकोर्ट में पहले मामले को खारिज कर दिया गया था, जबकि 14 अगस्त को आए दूसरे फैसले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. बरी होने के दिन अलवर कोर्ट के बाहर ‘जय श्री राम’ के नारे सुनाई दिए थे.
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केस खारिज होने से किसे राहत नहीं?

खान के साथ मौजूद अन्य दो लोगों के खिलाफ एक अलग FIR नंबर, 252/17 के तहत चार्जशीट दाखिल है.

अजमत ने क्विंट से बात करते हुए कहा, ‘मैं इस केस में चश्मदीद था. मुझे भी मारा गया था और मैं कई महीनों तक बिस्तर पर था. मेरा ध्यान रखने के लिए मेरे माता-पिता को सबकुछ बेचना पड़ा और आज, सिर्फ उन्हें राहत मिली है. ये कैसा न्याय है? ये ठीक कैसे है?’

हमने पहलू खान के परिवार के वकील कासिम खान से जब पूछा कि रफीक और अजमत को राहत क्यों नहीं मिली है, तो उन्होंने कहा, 'चार्जशीट के 90 दिनों के बाद ही FIR खारिज करने के लिए कोर्ट का रुख किया जा सकता है. ऐसा रफीक और अजमत के केस में नहीं हुआ था.'

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