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रामदेव के खिलाफ दायर याचिका को ऐसे ही खारिज नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

बाबा रामदेव के खिलाफ कई डॉक्टर एसोसिएशन ने दायर की है याचिका

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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार 25 अक्टूबर को कहा कि योग गुरु रामदेव (Ramdev) के खिलाफ कोरोना (Covid-19) महामारी के बीच एलोपैथी के खिलाफ दिए गए बयानों से संबंधित केस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इस मामले में उनके वकील को बुधवार 27 अक्टूबर को दलीलें पेश करने के लिए कहा गया है.

कुछ डॉक्टर्स एसोसिएशन्स द्वारा रामदेव के खिलाफ मुकदमा करने की अनुमति के लिए दायर एक याचिका की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. जिस दौरान कोर्ट ने ये टिप्पणी की.
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27 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

जस्टिस सी हरिशंकर ने रामदेव के वकील को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह ऐसा मामला है जिसे आसानी से खारिज किया जा सकता है. आप मुकदमे पर अपना जवाब दाखिल करें...आरोप सही या गलत हो सकते हैं, लेकिन इस पर गौर किया जाना चाहिए.

अदालत इस मामले से संबंधित अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को करेगी और रामदेव के वकील अपनी दलीलें कोर्ट के समक्ष पेश कर सकेंगे.

डॉक्टर्स एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने पहले तर्क दिया था कि सरकार के मना करने के बावजूद, रामदेव ने एक इम्यून बूस्टर को दवा के रूप में बढ़ावा दिया था. सिब्बल ने इसे कमर्शियल प्रॉफिट वाली स्पीच करार दिया.

हालांकि कोर्ट ने कहा कि सभी को व्यावसायिक लाभ का अधिकार है और कोई भी मुफ्त में काम नहीं करता है.

ऋषिकेश, पटना और भुवनेश्वर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के तीन डॉक्टर्स एसोसिएशन के अलावा चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के डॉक्टर्स एसोसिएशन, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन और मेरठ के डॉक्टर्स एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

आरोप लगाया गया था कि रामदेव के द्वारा जनता को गुमराह किया जा रहा है. एसोसिएशन्स के द्वारा कहा गया कि रामदेव के द्वारा गलत तरीका अपनाकर यह पेश किया गया कि एलोपैथी कोरोना से संक्रमित कई लोगों के लिए मौत का कारण बनी थी और इससे जुड़े हजारों डॉक्टर्स लोगों की मौत का कारण बन रहे थे.

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रामदेव एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और सोशल मीडिया पर उनके फॉलोवर्स की संख्या लाखों में है.

एसोसिएशन्स ने इस तरह के गलत जानकारी वाले अभियान का भी विरोध किया है, जो महामारी के दौरान लोगों को एलोपैथिक उपचारों के प्रति गलत सूचना दी थी. उन्होंने कहा कि यह भारत में लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन भी करता है.

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