कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की अपील की है. उन्होंने लेटर में लिखा है बढ़ती कीमतों के लिए पिछली सरकारों को दोष न दें, और इसका 'समाधान' ढूंढें. सोनिया गांधी ने पेट्रोल, डीजल मूल्य वृद्धि को 'मुनाफाखोरी' और 'जबरन वसूली' करार दिया.
यह आर्थिक कुप्रबंधन को कवर करने के लिए जबरन वसूली से कम नहीं है, विपक्ष में प्रमुख पार्टी के रूप में, मैं आपसे ‘राज धर्म’ का पालन करने और आंशिक रूप से उत्पाद शुल्क वापस करने के लिए ईंधन की कीमतों को कम करने का आग्रह करती हूं.
सोनिया ने लेटर में लिखा है- परेशानी की बात ये है कि करीब सात सालों तक सत्ता में रहने के बावजूद आपकी सरकार अपने स्वयं के आर्थिक कुप्रबंधन के लिए पिछले शासन को दोषी मान रही है. घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन साल 2020 में 18 साल के निचले स्तर पर गिर गया है. मुझे आशा है कि आप सहमत होंगे कि यह आपकी सरकार के लिए बहाने खोजने के बजाय समाधान पर ध्यान केंद्रित करने का समय है, देश को इसकी जरूरत है’
उन्होंने आगे कहा कि कच्चे तेल की कीमत यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान लगभग दोगुनी थी, उन्होंने कहा, इसलिए, आपकी सरकार द्वारा कीमतें बढ़ाने का काम (20 फरवरी तक लगातार 12 दिन तक) मुनाफाखोरी की तरह है.
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि वह यह पत्र ईंधन और गैस की आसमान छूती कीमतों को लेकर हर नागरिक के दर्द को समझते हुए लिख रही हैं, क्योंकि भारत में हर रोज नौकरियां, मजदूरी और घरेलू आय गिर रही है.
मध्यम वर्ग और समाज के हाशिये पर रहने वाले लोग संघर्ष कर रहे हैं. इन चुनौतियों को महंगाई और लगभग सभी घरेलू वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि ने और जटिल बना दिया है.
सोनिया ने सरकार पर लोगों की पीड़ा की अनदेखी करने का आरोप लगाया, पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक ऐतिहासिक ऊंचाई पर है, पेट्रोल की कीमत देश के कई हिस्सों में 100 रुपये प्रति लीटर के निशान को पार कर गई है. डीजल की बढ़ती कीमत ने लाखों किसानों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है, ये तब है जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव मामूली रूप से बढ़ा है.
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