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SII ने भी मांगी ‘नुकसान की भरपाई’ से छूट,कहा- ‘नियम समान हो’:सूत्र

रिपोर्ट्स के मुताबिक,SII का कहना है कि वैक्सीन निर्माता देसी और विदेशी कंपनियों के लिए नियम-कायदे एक जैसे होने चाहिए

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फाइजर और मॉर्डना के बाद अब कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किसी भी तरह की क्षतिपूर्ति से छूट मांगा है. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदार पूनावाला की कंपनी ने कहा है कि वैक्सीन निर्माता देसी और विदेशी सभी कंपनियों के लिए नियम-कायदे और छूट का दायरा एक जैसा ही होना चाहिए. कंपनी ने कहा है कि सिर्फ सीरम इंस्टीट्यूट ही नहीं हर वैक्सीन निर्माता कंपनी को इंडेम्निटी प्रोटेक्शन दी जानी चाहिए.

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इस मांग का मतलब ये है कि कंपनी चाहती है कि वैक्सीन से हुए किसी नुकसान या किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से कंपनी को छूट दी जाए. और ऐसी किसी भी शिकायत की स्थिति सरकार ही इसका निपटारा करे.

सरकार दे सकती है इंडेम्निटी प्रोटेक्शन ?

सरकार ने अबतक किसी भी वैक्सीन निर्माता कंपनी को गंभीर साइड इफैक्ट पर क्षतिपूर्ति या कानूनी कार्रवाई से संरक्षण नहीं दिया है. अब विदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर और मॉर्डर्ना की तरफ से ऐसी छूट अहम शर्त बताई जा रही है. ऐसे में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2 जून को स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि दूसरे देश ऐसी छूट दे रहे हैं तो कंपनियों के कोविड वैक्सीन इस्तेमाल से जुड़े किसी भी क्षतिपूर्ति के दावे या कानूनी कार्रवाई से संरक्षण देने में 'कोई दिक्कत नहीं है.'

ग्लोबल वैक्सीन के लिए देश में किसी क्लिनिकल परीक्षण की जरूरत नहीं

इससे पहले फाइजर और मॉडर्ना जैसी ग्लोबल वैक्सीन भारत में बिना मंजूरी के क्लिनिकल परीक्षण और वैक्सीन की हर खेप बिना परीक्षण के लॉन्च की जा सकती है.भारत के औषधि महानियंत्रक ने एक नोटिफिकेशन में कहा है कि जिन टीकों को यूएस एफडीए, ईएमए, यूके एमएचआरए और पीएमडीए जापान में इस्तेमाल के लिए अनुमोदित किया गया है और डब्ल्यूएचओ आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) के तहत और जहां लाखों व्यक्तियों को वैक्सीन लगाया गया है, उसे परीक्षण की आवश्यकता को छूट दी जा सकती है. इसके लिए जरूरी है कि वैक्सीन बैच को मूल देश की राष्ट्रीय नियंत्रण प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणित और जारी किया गया हो.

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