22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान पर एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि NRC पर अफवाह फैलाई जा रही है, उनकी सरकार में इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है. देशभर में CAA और NRC को लेकर लेकर विरोध प्रदर्शन पर मोदी ने कहा, "पहले ये तो दो देख लीजिए कि NRC का जिक्र हुआ भी है क्या? मेरी सरकार में 2014 से लेकर आजतक कहीं भी NRC पर चर्चा नहीं हुई है. कोई बात नहीं हुई है."
अब ऐसे में जानना जरूरी है कि क्या वाकई में मोदी सरकार के किसी नेता ने देशभर में NRC लागू करने का जिक्र तक नहीं किया? करीब एक महीने पहले 20 नवंबर को संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था- 'एनआरसी की प्रक्रिया देशभर में होगी. लेकिन किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. सारे लोगों को NRC में लाने की व्यवस्था है.'
1 मई 2019 को पश्चिम बंगाल में एक चुनावी रैली के दौरान अमित शाह ने कहा था- 'सबसे पहले हम हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देंगे. इसके बाद एनआरसी को लागू करेंगे.'
इससे पहले 23 अप्रैल 2019 ने अमित शाह ने कहा था- 'पहले CAB आएगा, सारे शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी. इसके बाद NRC आएगा. NRC सिर्फ बंगाल के लिए नहीं आएगा, पूरे देश के लिए आएगा. घुसपैठी देश की समस्या आएगा.'
PM और गृहमंत्री में सामंजस्य नहीं: कांग्रेस
NRC पर पीएम के इस दावे के बाद विपक्षीय पार्टी कांग्रेस मोदी और अमित शाह पर हमलावर है. कांग्रेस ने NRC के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या उनके और गृह मंत्री मंत्री अमित शाह के बीच सामंजस्य नहीं है?
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "साहेब दिल्ली में बोलते हैं कि एनआरसी पर कोई डिस्कशन नहीं हुआ, लेकिन 28 नवंबर को झारखंड चुनाव के घोषणापत्र में बीजेपी एनआरसी लागू करने का वादा करती है.''
उन्होंने कहा, ''अब दो बातें बताएं- पहली कि क्या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री में सामंजस्य नहीं? दूसरी बात यह कि क्या सत्ता और संगठन के बीच खट-पट है या दोनों मिल कर देश का बेवकूफ बना रहे हैं?"
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