दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री वाले मामले में फिर से गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया है. केजरीवाल ने पिछले दिनों सुनाए गए आदेश पर रिव्यू याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि वेबसाइट पर प्रधानमंत्री की डिग्री मौजूद ही नहीं है. ऐसे में पिछले आदेश पर फिर रिव्यू किया जाना चाहिए. केजरीवाल पर गुजरात हाई कोर्ट ने पहले ही इस मामले में 25 हजार का जुर्माना लगाया था.
जस्टिस बीरेन वैष्णव की कोर्ट ने शुक्रवार को मामले पर सुनवाई की और प्रतिवादी गुजरात यूनिवर्सिटी, भारत संघ, मुख्य सूचना आयुक्त और तत्कालीन सीआईसी आयुक्त प्रोफेसर एम श्रीधर आचार्युलु को नियम जारी किया, जिन्होंने आदेश पारित किया था.
खबर है कि अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 30 जून को करेगी. केजरीवाल द्वारा दायर की गई रिव्यू याचिका में कहा गया है कि जानकारी दी गई थी कि पीएम मोदी की डिग्री, यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है. वेबसाइट देखने पर पाया गया कि 'डिग्री' उपलब्ध नहीं है, लेकिन OR (कार्यालय रजिस्टर) के रूप में संदर्भित एक दस्तावेज दिखता है. याचिका में कहा गया है कि बिना किसी मुहर या अथॉरिटी के हस्ताक्षर के बिना इसका सत्यापन "असंभव" है.
केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि...
यूनिवर्सिटी की ऑफिसियल वेबसाइट पर "डिग्री" के प्रदर्शन को अदालत के पहले के आदेश की समीक्षा के लिए प्रारंभिक और मुख्य आधार के रूप में लिया गया है.
केजरीवाल ने अपनी याचिका में पीएम मोदी की डिग्री के मामले को जारी रखने के लिए कोर्ट द्वारा उन पर लगाए गए 25,000 रुपये के जुर्माने को भी चुनौती दी है.
यह कहते हुए कि याचिकाकर्ता ने किसी भी जानकारी के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया था और सीआईसी के एक पत्र के जवाब में केवल अप्रैल 2016 में एक पत्र लिखा था, केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने "सीआईसी से कभी भी उक्त उद्देश्यों के लिए एक आवेदक के रूप में व्यवहार करने की गुजारिश नहीं की.
केजरीवाल ने फैसले की समीक्षा और अंतिम फैसले तक फैसले के संचालन और क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है.
2016 में शुरू हुआ विवाद
2016 में, सूचना के अधिकार (RTI) अनुरोध का जवाब देते हुए, केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO), गुजरात यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी को पीएम मोदी की ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन डिग्री के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद गुजरात यूनिवर्सिटी ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. सुनवाई के दौरान यूनिवर्सिटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता, जो भारत के सॉलिसिटर जनरल भी हैं, पेश हुए थे.
पीएम मोदी के चुनावी दस्तावेज के अनुसार उन्होंने 1978 में गुजरात यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री पूरी की है.
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