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PM Modi Greece Visit: पाक, चीन और तुर्किये को 'दोस्त' ग्रीस की मदद से साध रहा भारत?

ग्रीस के साथ भारत का बढ़ता संबंध भूमध्यसागरीय क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने का एक प्रभावी कदम साबित हो सकता है?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शुक्रवार, 25 अगस्त को एक दिन के ग्रीस (Greece) दौरे पर गए थे. एथेंस पहुंचते ही नरेंद्र मोदी 40 साल में ग्रीस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए. इससे पहले 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ग्रीस दौरे पर गई थीं. पीएम की यह पहली ग्रीस यात्रा सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण थी. आइए समझते हैं कि आखिर पीएम मोदी का यूरोपीय देश ग्रीस का दौरा भारत के लिए क्यों और कितना अहम था?

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राजधानी एथेंस पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत विदेश मंत्री जॉर्ज जेरापेट्राइटिस ने किया. पीएम मोदी ने ग्रीस की राष्ट्रपति कैटरीना सकेलारोपोउलो और प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एथेंस में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा "रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में, हम सैन्य संबंधों के साथ-साथ रक्षा उद्योग को सशक्त बनाने पर सहमत हुए हैं. आज हमने आतंकवाद और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर चर्चा की. हमने तय किया है कि NSA स्तर का एक संवाद मंच भी होना चाहिए."

"ग्रीस के प्रधानमंत्री और मैं इस बात से सहमत हैं कि हमारा द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में भी इसमें बढ़ोतरी की अपार संभावनाएं हैं. इसलिए हमने 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का निर्णय लिया है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भारतीय मूल के लोगों ने एथेंस पहुंचने पर पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया. प्रधानमंत्री का एथेंस में भारतीय प्रवासियों से भी बातचीत का कार्यक्रम था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस समय वहां रह रहे भारतीय लोगों की संख्या 13 से 14 हजार के बीच है.

कैसे हैं ग्रीस और भारत के संबंध?

भारत और ग्रीस के संबंधों की बात करें तो दोनों देशों के बीच काफी पुराना और दोस्ताना संबंध है. दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध मई 1950 में स्थापित हुए. भारत सरकार की वेबसाइट के मुताबिक, 1950 में दिल्ली में ग्रीस का दूतावास खुला था और 1978 में एथेंस में भारतीय दूतावास खुला. पिछले 70 साल में यह रिश्ता सुचारू रूप से आगे बढ़ा है.

ग्रीस लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का समर्थन करता आया है. मई 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों के बाद, जब अधिकांश पश्चिमी देश भारत पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे थे, तब ग्रीस के रक्षा मंत्री ने दिसंबर में भारत का दौरा किया और एक एमओयू साइन किया. न्यूक्लियर परीक्षण के बाद किसी भी NATO देश से भारत दौरे पर आने वाले ग्रीस के रक्षा मंत्री पहले व्यक्ति थे.

मोदी सरकार ग्रीस के साथ संबंधों को और गहरा करने पर फोकस कर रही है. इसका उदाहरण है कि जून 2021 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ग्रीस गए थे. उस समय ग्रीस ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime agreement) समझौते पर भारत को समर्थन भी दिया था.

जनवरी 2023 में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी आधिकारिक यात्रा पर ग्रीस गई थीं. उनसे पहले वाणिज्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल भी जा चुकी थी. इसके अलावा जून 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी चार दिनों की आधिकारिक यात्रा पर ग्रीस गए थे. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए.

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पीएम मोदी के ग्रीस दौरे के मायने क्या?

विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी के जोहान्सबर्ग रवाना होने से पहले मीडिया से कहा कि ग्रीस यात्रा महत्वपूर्ण है और भारत ग्रीस को सबसे महत्वपूर्ण यूरोपीय भागीदारों में से 'एक' के रूप में देखता है. विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भी कहा कि...

“भारत और ग्रीस दोनों न केवल आधुनिक लोकतंत्र हैं, बल्कि हम करीबी और सदियों पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी साझा करते हैं. दोनों पक्ष ट्रेड और निवेश में विस्तार, विविधता लाने और उसे बढ़ाने पर ध्यान देंगे. रक्षा और सुरक्षा की साझेदारी, इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग और जहाज निर्माण इंडस्ट्री में सहयोग करेंगे."
विनय क्वात्रा, विदेश सचिव

PTI के मुताबिक, अभी हाल ही में ग्रीस ने भारत के नेतृत्व वाले ‘इंटरनेशनल सोलर अलायंस’ में शामिल होने की घोषणा की. ग्रीस का यह निर्णय इस लिहाज से अहम है कि इससे चीन के साथ ग्रीस के एनर्जी पार्टनरशिप को सही दिशा देने का एक नैतिक दबाव भी पड़ेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन एक नियम आधारित और बेहतर सार्थक लक्ष्यों वाला संगठन है.

इंटरनेशनल सोलर अलायंस के बीजिंग स्थित ब्रिक्स के न्यू डेवलपमेंट बैंक के साथ ऊर्जा साझेदारियां होती रही हैं. ऐसे में ग्रीस भारत के वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा विजन में सहयोग दे सकेगा.

भारत वैश्विक ऊर्जा ग्रिड की भी संकल्पना पेश कर चुका है. ग्रीस और उसके पड़ोस के राष्ट्रों में भारत की सोच को समर्थन, सम्मान मिले, इसके लिए विकसित हो रहे भारत ग्रीस संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं.
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ग्रीस यात्रा का महत्व

ग्रीस के साथ बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के अलावा, इसके और भी कई मायने हैं. 9 अगस्त 2023 को भारत सरकार की ओर से जारी ग्रीस और भारत के द्विपक्षीय प्रेस ब्रिफिंग में कहा गया कि ग्रीस ने पारंपरिक रूप से कश्मीर मुद्दे पर भारत की स्थिति का समर्थन किया है. ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाएगा."

वहीं, 17 अगस्त 2023 को द हिंदू के साथ भारत में ग्रीस के राजदूत दिमित्रियोस इओन्नौ ने बातचीत की. इस दौरान जब उनसे सवाल किया गया कि ऐसा कहा जा रहा है कि कश्मीर मुद्दे पर ग्रीस ने भारत को जो लगातार समर्थन दिया है, उससे द्विपक्षीय संबंधों को मदद मिली है?

इस सवाल पर दिमित्रियोस इओन्नौ कहा कि...

"राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र के बीच संतुलन भारतीय राजनीति का विशेषाधिकार है. मैं खुद कुछ महीने पहले कश्मीर (श्रीनगर) का दौरा किया था और मैंने एक सुरक्षित स्थान देखा, जो लो सीजन में भी पर्यटकों से भरा हुआ था. जहां भी पर्यटन है, वहां समृद्धि और स्थिरता है. उन्होंने साइप्रस के मुद्दे पर ग्रीस का समर्थन के लिए भारत की भी सराहना की."
द हिंदू के साथ बातचीत में भारत में ग्रीस के राजदूत दिमित्रियोस इओन्नौ

इसके अलावा ग्रीस कई अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत का समर्थन करता आया है. UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन का मुद्दा हो या 2008 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) का और 2016 में MTCR यानी Missile Technology Control Regime में भारत का समर्थन करना हो, ग्रीस ने भारत का समर्थन किया है.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक, तुर्किये, पाकिस्तान और अजरबैजान अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने और मध्य पूर्व और मध्य एशिया में भारत के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. इनके मुकाबले भारत, आर्मेनिया और ग्रीस के साथ संबंधों को एक नया आकार दे रहा है.

आर्मेनिया को हथियार बेचने और ग्रीस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को उन्नत करने का फैसला लेकर भारत इन देशों को सीधी चुनौती दे रहा है. आर्मेनिया रूस का पारंपरिक सहयोगी है और ग्रीस नाटो का सदस्य है. इन देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करके भारत तुर्की सहित अजरबैजान और पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश दे रहा है.

वहीं, ग्रीस के साथ भारत का बढ़ता संबंध भूमध्यसागरीय क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने का एक प्रभावी कदम साबित हो सकता है. बीजिंग इस क्षेत्र में अपनी आर्थिक और सैन्य उपस्थिति को मजबूत कर रहा है और यह यात्रा उस बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए एक सही कदम साबित हो सकता है.

इसके अलावा, ग्रीस के साथ अच्छे संबंध से भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भारत के लिए सकारात्मक परिणाम मिलेंगे, जो अपने प्रचुर तेल और गैस संसाधनों के कारण ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है.

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