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PM मोदी ने लॉन्च किया नया Tax प्लेटफॉर्म, पारदर्शिता पर जोर

साथ ही सरकार की कोशिश होगी कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए बड़े टैक्स रिफॉर्म आएं

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भारत
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पीएम मोदी ने आज 'पारदर्शी टैक्सेशन: ईमानदारी का सम्मान' नाम के टैक्स के नए प्लेटफॉर्म की शुरुआत की शुरुआत करने वाले हैं. ये प्लेटफॉर्म सरकार के 'मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस' प्रोग्राम के तहत शुरू किया गया है. साथ ही सरकार की कोशिश होगी कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए बड़े टैक्स रिफॉर्म आएं, टैक्स सिस्टम ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी हो और ये टैक्सपेयर को मजबूत बनाए.

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पीएम मोदी ने कहा कि- फेसलेस एसेसमेंट आज से लागू हो गया है. टैक्स सिस्टम भले ही फेसलेस हो रहा है लेकिन ये टैक्स सिस्टम फेसलेस और फीयरलेस होने का विश्वास देने वाला है.

देश में चल रहा स्ट्रक्चरल का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है. इस नए प्लेटफॉर्म में फेसलेस एसेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म्स हैं. Faceless Assessment और Taxpayers Charter आज से लागू हो गए हैं. जबकि Faceless appeal की सुविधा 25 सितंबर यानि दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से पूरे देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। अब टैक्स सिस्टम भले ही Faceless हो रहा है, लेकिन टैक्सपेयर को ये Fairness और Fearlessness का विश्वास देने वाला है.
पीएम मोदी

ईमानदार का सम्मान

पीएम मोदी ने कहा कि 'देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है. आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, Minimum Government, Maximum Governance के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं. ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.'

'टैक्स सिस्टम में फंडामेंटल रिफॉर्म की जरूरत थी'

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के टैक्स सिस्टम में फंडामेंटल और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म की जरूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे विकसित हुआ. आजादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन सिस्टम का कैरेक्टर वही रहा. अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के केस की सीमा तय की गई है. ‘विवाद से विश्वास’ जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं.

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