भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 11 अगस्त को कहा कि Retrospective टैक्स को समाप्त करने के सरकार के कदम ने अतीत की गलतियों को सुधारने का काम किया है और इससे सरकार और उद्योगों के बीच भरोसा बढ़ेगा.
पिछले हफ्ते ही केंद्र सरकार ने मई 2012 से पहले भारतीय संपत्ति के इनडायरेक्ट ट्रांसफर के लिए लगाये गए टैक्सों को समाप्त का निर्णय लिया है, बशर्ते कंपनियां सरकार के खिलाफ अपने लंबित मुकदमे को वापस ले और यह लिखित तौर पर दे कि कोई नुकसान भरपाई का दावा दायर नहीं किया जाएगा.
यह कदम सरकार ने तब उठाया है जब केयर्न एनर्जी और वोडाफोन ने भारत सरकार के टैक्स की मांग को कोर्ट में चुनौती दी थी और दोनों कंपनियों की जीत हुई. अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने इन कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया था. यही नहीं केयर्न एनर्जी ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए कई देशों में भारत के खिलाफ मामला दर्ज किया.
"हम सुधार करते हैं और मजबूरी से नहीं बल्कि दृढ़ विश्वास से करते हैं"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "हमने Retrospective टैक्स को हटाकर अतीत की गलती को सुधारा है. यह सरकार और उद्योग के बीच विश्वास बढ़ाएगा ... इस संबंध में उद्योगों से आ रही प्रतिक्रिया और प्रशंसा बहुत अच्छी है"
देश में सुधारों की मांग दशकों से की जा रही थी,बातें खूब होती थीं लेकिन किसी ने कोई फैसला नहीं लिया. क्योकि मान लिया गया था ये बदलाव करना बहुत मुश्किल काम है. लेकिन हमने किया. हम सुधार करते हैं और मजबूरी से नहीं बल्कि दृढ़ विश्वास से करते हैं"
UPA सरकार में आया था Retrospective टैक्स, लेकिन मोदी सरकार ने आगे बढ़ाया
2012 में, UPA सरकार ने विवादास्पद रूप से Retrospective टैक्स कानूनों को लागू किया था. जिन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अतीत में भारतीय कंपनियों की संपत्ति अर्जित की थी, उन्हें बताया गया था कि उन्हें बड़ी रकम चुकानी होगी. इससे सरकार और कंपनियों के बीच तीखी कानूनी लड़ाई हुई.
इस कानून से मनमोहन सरकार में वोडाफोन जैसी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. बाद में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने भी ये टैक्स नीति जारी रखी. साथ ही इस कानून की वजह से देश में निवेश को धक्का लगने का डर पैदा हुआ. इस कानून के तहत भारत सरकार ने ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) और वोडाफोन (Vodafone) को टैक्स डिमांड भेजा था. दोनों कंपनियों ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के जरिए करोड़ों रुपए भी चुकाए थे.
पीएम मोदी ने नेतृत्व वाली NDA सरकार ने केयर्न एनर्जी से न सिर्फ टैक्स मांगा बल्कि नहीं मिला तो केयर्न के वेदांता में मौजूद शेयर भी जब्त कर लिए.अब सवाल है कि अगर रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को रिफार्म के तौर पर हटाकर अब सरकार भूलसुधार की बात कर रही है तो फिर देश से लेकर विदेश कर ये टैक्स लेने के लिए क्यों केस लड़ती रही थी.
यही सवाल क्विंट से बातचीत में इंटरनेशनल टैक्स एक्सपर्ट और ध्रुवा एडवाइजर्स के फाउंडर दिनेश कानाबार ने भी पूछा था. दिनेश कानाबार की राय थी कि विदेशों में संपत्तियों की जब्ती के खतरे के कारण सरकार को टैक्स नियम बदलने पड़े.
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