प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में तीन सदस्यों के पैनल में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) के डायरेक्टर पद के लिए तीन नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया. 24 मई को पीएम मोदी, चीफ जस्टिस एनवी रमाना और विपक्षी नेता अधीर रंजन चौधरी की बैठक हुई.
इस बैठक में, सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) के डायरेक्टर-जनरल सुबोध कुमार जायसवाल, सशस्त्र सीमा बल (SSB) के डीजी राजेश चंद्रा और केंद्रीय गृह मंत्रालय में इंटरनल सिक्योरिटी के स्पेशल सेक्रेटरी वीएसके कौमुदी के नामों को फाइनल किया गया है. फाइनल किए गए सभी नाम 1984-87 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.
जायसवाल 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, और महाराष्ट्र के डायरेक्ट-जनरल रह चुके हैं. वो अभी सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) के डायरेक्टर-जनरल हैं.
चंद्रा भी बिहार कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल सशस्त्र सीमा बल के डायरेक्टर-जनरल का पद संभाल रहे हैं.
कौमुदी 1986 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं और केंद्रीय गृह मंत्रालय में इंटरनल सिक्योरिटी के स्पेशल सेक्रेटरी हैं.
फरवरी में पूर्व चीफ ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल खत्म होने के बाद से ये पद खाली पड़ा है. सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर, प्रवीण सिन्हा एजेंसी के अंतरिम चीफ का कार्यभार संभाल रहे हैं.
नए सीबीआई चीफ नियुक्ति से अगले दो सालों तक के लिए ये पद संभालेंगे. कानून के मुताबिक, सरकारी पैनल सीबीआई डायरेक्टर का चयन ‘वरिष्ठता, अखंडता और एंटी करप्शन मामलों की जांच में अनुभव के आधार पर करता है.’
विपक्ष ने उठाए सवाल
बैठक के बाद, विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सलेक्शन प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए और कहा कि कैंडिडेट्स सलेक्ट करने में सरकार का रवैया काफी 'कैजुअल' है.
चौधरी ने कहा, “जिस तरह से प्रक्रिया का पालन किया गया, वह समिति के जनादेश के उलट था.” हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चौधरी ने कहा कि 11 मई को उन्हें 109 नामों की लिस्ट दी गई थी, 24 मई दोपहर 1 बजे उन्हें शॉर्टलिस्ट किए 10 नाम दिए गए. शाम 4 बजे तक, इस लिस्ट में 6 और नाम जोड़ दिए गए.
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