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नेपाल के PM ओली का प्रधानमंत्री मोदी को फोन, लंबे विवाद के बाद बात

नेपाल और भारत के बीच लंबे विवाद के बाद पहली बार हुई बातचीत

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भारत
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भारत और नेपाल के बीच पिछले कुछ महीनों से लगातार तनाव की खबरें सामने आ रही थीं. नेपाल ने अपने एक नक्शे में भारतीय इलाकों को अपना बताया था, जिसका भारत ने कड़ा विरोध भी किया. इसके बाद खूब बयानबाजी भी हुई. लेकिन इन सभी खबरों के बाद अब 15 अगस्त के मौके पर नेपाल के पीएम केपी ओली ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बातचीत की. दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत काफी सकारात्मक रही.

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नेपाल के पीएम ओली ने प्रधानमंत्री मोदी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देने के अलावा अन्य कई मुद्दों पर भी चर्चा की. ओली ने पहले तो भारत के सभी लोगों और पीएम मोदी को 74वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना दी, उसके बाद नेपाल के पीएम ने भारत के यूएन सिक्योरटी काउंसिल में अस्थायी सदस्य चुने जाने को लेकर भी पीएम मोदी को बधाई दी.

फोन पर हुई इस बातचीत में दोनों देशों के बीच कोरोना से लड़ाई लड़ने को लेकर भी चर्चा हुई. इस दौरान पीएम मोदी ने ओली से कहा कि वो लगातार नेपाल की मदद जारी रखेंगे. साथ ही पीएम मोदी ने ओली को उनके फोन के लिए धन्यवाद दिलाया. साथ ही भारत और नेपाल के बीच सभ्यता और संस्कृति का जो मेल है उसकी भी चर्चा की.
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बता दें कि नेपाल के पीएम ओली पिछले कुछ महीनों में कई बार भारत पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं. ओली की सरकार जब संकट में घिरी तो उन्होंने इसका सीधा इल्जाम भी भारत पर लगाया था. सिर्फ इतना ही नहीं ओली ने नेपाल में कोरोना संक्रमण फैलने को लेकर भी भारत को ही जिम्मेदार ठहराया था.

नेपाल ने दी विवादित नक्शे को मंजूरी

चीन से विवाद के बीच नेपाल ने एक ऐसा कदम उठाया जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा हो गई. नेपाल ने अपनी संसद में एक विवादित नक्शा पेश किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है. जो कि भारत के इलाके हैं. इसके बाद संसद से इसे मंजूरी भी दे दी गई. वहीं संसद के बाद नेपाल की राष्ट्रपति ने भी इस विवादित नक्शे को अपनी मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद भारत ने इसका कड़ा विरोध जताया था और कहा था कि बातचीत के प्रस्ताव के बाद भी नेपाल के पीएम ने विवादित नक्शा पास किया, जो काफी निंदनीय है.

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