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पीएम मोदी ने बताए न्यायपालिका का बोझ कम करने के तरीके

प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा स्थापित करने की वकालत की.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल जंयती पर कहा कि हर भारतवासी देश को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है, इसलिए लोग विभाजनकारी ताकतों से सतर्क रहें. वहीं एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने न्यायपालिका का बोझ कम करने के उपायों पर अपनी बात रखी की.

भारत को एक झंडे के नीचे रखने का श्रेय सरदार पटेल को

नई दिल्ली स्थित नेशनल स्टेडियम में देश के 'लौह पुरुष' की जयंती पर पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक झंडे के नीचे है, जिसका श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है.

देश छोड़ते समय अंग्रेजों ने भारत को कई छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने की राजनीति की, लेकिन सरदार पटेल ने यह सुनिश्चित किया कि भारत एक राष्ट्र रहेगा.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

पीएम मोदी ने कहा कि हर भारतवासी देश को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है और यह सुनिश्चित करने के लिए लोगों को विभाजनकारी ताकतों से सतर्क रहना चाहिए.

उन्होंने सरदार पटेल के जीवन पर एक डिजिटल संग्रहालय का उद्घाटन किया और लोगों से इसे देखने की अपील की. पीएम ने स्टेडियम से 'रन फॉर यूनिटी' दौड़ को हरी झंडी भी दिखाई.

न्यायपालिका पर बोझ कम हो: पीएम मोदी

दिल्ली हाईकोर्ट के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सबसे बड़ी ‘वादी' है. उन्होंने कहा, ‘ न्यायपालिका सबसे अधिक समय हमारे ऊपर खर्च करती है.’

मोदी ने कहा कि अगर मामलों पर ठीक ढंग से विचार करने के बाद केस दायर किये जाएं तो न्यायपालिका पर बोझ कम किया जा सकता है.

उन्होंने कहा,

अगर एक शिक्षक सेवा से जुड़े किसी मामले में अदालत के समक्ष जाता है और उसे जीत हासिल होती है तो ऐसे न्यायिक आदेश को आधार बनाया जाना चाहिए ताकि इसका फायदा मिल सके और बाद के स्तर पर हजारों की संख्या में मुकदमों को कम किया जा सके.

इस मामले में हालांकि कोई ठोस आंकडे नहीं हैं, लेकिन सेवा मामलों से लेकर अप्रत्यक्ष करों तक विभिन्न अदालती मामलों में कम से कम 46 प्रतिशत में सरकार एक पक्ष है.

प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा स्थापित करने की वकालत की.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि यह विवादास्पद है, पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए.

साल 1961, 1963 और 1965 के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन का पक्ष लिया गया था, लेकिन इस प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया जा सका क्योंकि कुछ राज्यों और हाईकोर्ट ने इसका विरोध किया था.

प्रधानमंत्री के अलावा इस समारोह में भारत के चीफ जस्टिस टी. एस. ठाकुर, दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी रोहिणी, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मौजूद थे.

(एजेंसियों के इनपुट्स के साथ)

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