पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को एक बार फिर संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना खत्म नहीं हुआ, इसीलिए अभी सावधानी रखने की जरूरत है. पीएम ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा,
“कोरोना की लड़ाई में जनता कर्फ्यू से लेकर आज तक हम सभी भारत वासियों ने बहुत लंबा सफर तय किया है. समय के साथ आर्थिक गतिविधियों में तेजी नजर आ रही है. हममें से अधिकांश लोग अपने जीवन को गति देने के लिए रोज घरों से बाहर निकल रहे हैं. त्योहारों के इस मौसम में बाजारों में भी रौनक धीरे-धीरे लौट रही है, लेकिन हमें नहीं भूलना है कि लॉकडाउन भले ही चला गया हो, लेकिन वायरस नहीं गया है.”
पीएम मोदी ने आगे कहा,
“भारत आज जिस संभली हुई स्थिति में है, हमें उसे बिगड़ने नहीं देना है. आज देश में रिकवरी रेट काफी अच्छा है. हमारी 10 लाख जनसंख्या पर करीब 5.5 हजार लोगों को कोरोना हुआ है. वहीं अमेरिका में ये आंकड़ा 25 हजार के करीब है. भारत में प्रति 10 लाख में मृत्यु दर 83 है, जबकि अमेरिका, ब्राजील और ब्रिटेन जैसे देशों में ये आंकड़ा कई ज्यादा है. भारत अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों का जीवन बचाने में सफल हो रहा है.”
आज देश में कोरोना मरीजों के लिए 90 लाख से ज्यादा बेड हैं, 12 हजार क्वॉरंटीन सेंटर हैं. कोरोना टेस्टिंग की करीब 2 हजार लैब काम कर रही हैं. देश में टेस्टिंग की संख्या जल्द 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा -
- अगर आप लापरवाही बरत रहे हैं, बिना मास्क के निकल रहे हैं तो आप अपने परिवार और बच्चों को उतने ही बड़े संकट में डाल रहे हैं.
- कई बार हम पकी हुई फसल देखकर आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि काम हो गया, लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए.
- जब तक इस महामारी की वैक्सीन नहीं आ जाती है हमें कोरोना से इस लड़ाई को कमजोर नहीं पड़ने देना है.
- हमारे देश के वैज्ञानिक वैक्सीन के लिए जी जान से जुटे हैं. भारत में कोरोना की कई कोरोना वैक्सीन पर काम चल रहा है.
- जब भी कोरोना की वैक्सीन आएगी वो जल्द से जल्द प्रत्येक भारतीय तक कैसे पहुंचे, इसके लिए भी सरकार की तैयारी जारी है.
जब तक दवाई नहीं- तब तक ढिलाई नहीं
पीएम ने अपने इस संबोधन में आगे कहा कि रामचरित मानस में कई शिक्षाप्रद बातें बताई गई हैं, लेकिन कई चेतावनियां भी दी गई हैं. जैसे- "रिपु रुज पावक पाप, प्रभु अहि गनीय न छोट करि", इसका मतलब कि - आग, शत्रु और पाप को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए. जब तक इनका पूरा इलाज नहीं हो जाए, इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए. इसीलिए याद रखिए जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं. थोड़ी सी लापरवाही हमारी गति को रोक सकती है और हमारी खुशियों को धूमिल कर सकती है. जीवन की जिम्मेदीरी निभाना और सतर्कता दोनों को साथ लेकर चलना होगा.
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