पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी वालों से कहा ‘सराब’ सेहत के लिए हानिकारक है तो उन्हें तपाक जवाब मिला सराब नहीं शराब होता है. हिंदीवाले जानकार भी मैदान में उतर गए कि किसी भी शब्द के अक्षर से छेड़छाड़ होते ही उसका अर्थ बदल जाता है.
मेरठ में बीजेपी की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सपा, बसपा और रालोद के पहले अक्षर से शब्द बनाया ‘सराब’. वैसे तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी प्रधानमंत्री को ‘सराब’ और ‘शराब’ के बीच का अंतर समझाया. सराब का मतलब मृगमरीचिका होता है शराब या मदिरा नहीं.
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि 'सराब' और 'शराब' के बीच का अंतर वो लोग नहीं जानते जो नफरत के नशे को बढ़ावा देते हैं. सराब को मृगतृष्णा भी कहते हैं और यह वह धुंधला सा सपना है जो भाजपा 5 साल से दिखा रही है.
मोदी ने मेरठ की रैली में सपा के 'स', रालोद के 'रा' और बसपा के 'ब' को उठाकर तीनों दलों के गठबंधन को 'सराब' करार दिया. फिर बोले ये आपको (जनता को) बर्बाद कर देगा क्योंकि ये सेहत के लिए हानिकारक है.
हिंदी के जानकार भी प्रधानमंत्री मोदी से ‘सराब’ शब्द के मायने से सहमत नहीं हैं. सराब शब्द का मतलब शराब या मदिरा कतई नहीं होता. हिंदी के पर्यायवाची शब्दों की डिक्शनरी में देखें तो सराब मतलब होता है मृगतृष्णा या मृग मरीचिका.
अक्षर बदलने से मायने बदल जाते हैं
हर शब्द में अक्षरों और उनके स्थान की बहुत अहमियत होती है. अक्षर बदलने से मायने बदल जाते हैं.
इसलिए जबरिया शब्द और नारे नहीं गढ़ने चाहिए. आइए आपको बताते हैं कि कैसे किसी शब्द में सिर्फ ‘श’ की जगह ‘स’ या ‘स’ की जगह ‘श’ लगा देने भर से शब्द का अर्थ कितना बदल जाता है.
- ‘शराब’ मतलब मदिरा लेकिन ‘सराब’ मतलब मृगतृष्णा
- ‘शव’ मतलब पार्थिव शरीर लेकिन ‘सब’ मतलब सभी
- ‘सेब’ मतलब एप्पल लेकिन ‘सेंव’ मतलब नमकीन
- ‘शेर’ मतलब लॉयन और ‘सेर’ मतलब वजन का पैमाना
- ‘शहर’ मतलब नगर और ‘सहर’ का मतलब होता है सुबह
- ‘शाम’ मतलब संध्या, लेकिन ‘साम’ मतलब चतुराई
- ‘शुद्ध’ मतलब प्योर लेकिन ‘सुध’ मतलब हालचाल
- ‘शीशा’ मतलब कांच लेकिन ‘सीसा’ मतलब लेड
- ‘शील’ मतलब इज्जत लेकिन ‘सील’ मतलब मुहर
- ‘शोर’ मतलब हल्ला और ‘सोर’ मतलब जड़
- ‘शोले’ मतलब अंगारे और ‘सो ले’ मतलब सो जा या (सोले) मतलब रेशमी धोती
- ‘शूल’ मतलब कांटा और ‘सूल’ यानी (कुछ नहीं)
- ‘सोच’ मतलब मानसिकता और ‘शौच’ मतलब सब जानते हैं
कहने का मतलब ये है कि हर शब्द में अक्षर की खास पोजिशन होती है और उसी से शब्द के मायने बनते हैं. दरअसल हिंदी और उर्दू में उच्चारण का बड़ा खेल है, कई बार उच्चारण इलाके के हिसाब से अलग हो सकता है, लेकिन कई शब्द ऐसे होते हैं जहां ‘श’ और ‘स’ मायना या मतलब ही बदल देता है इसलिए प्लीज...
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