प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 9 अगस्त को होने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीएम मोदी एक वर्चुअल डिबेट की अध्यक्षता करेंगे, जिसका विषय है ‘समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता’. इस बैठक का अहम उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करना है.
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों, सरकार के प्रमुखों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और प्रमुख क्षेत्रीय संगठनों के उच्च स्तरीय विशेषज्ञों के भाग लेने की संभावना है. इस डिबेट में समुद्री अपराध और असुरक्षा का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने और समुद्री क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने और इसको मजबूत करने के तरीकों पर बात की जाएगी.
पहली बार समुद्री सुरक्षा पर समग्र रूप से चर्चा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने समुद्री सुरक्षा और अपराध के तमाम पहलुओं पर चर्चाएं की हैं और प्रस्ताव पारित किये हैं. हालांकि, यह पहला मौका होगा जब उच्च स्तरीय खुली बहस में एक विशेष एजेंडे के तहत समुद्री सुरक्षा पर समग्र रूप से चर्चा की जाएगी. कोई भी देश अकेले समुद्री सुरक्षा के तमाम प्रकार के पहलुओं से संबंधित समस्याओं का निवारण नहीं निकाल सकता, इसलिए इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समग्र रूप से विचार करना बहुत ही आवश्यक कदम है.
समुद्री सुरक्षा से संबंधित व्यापक दृष्टिकोण वैध समुद्री गतिविधियों की ओर समर्थन करने में सहायक साबित हो सकता है. वहीं दूसरी ओर इसके जरिए समुद्री क्षेत्र में होने वाले खतरों का मुकाबला भी किया जा सकेगा.
पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री करेगा अध्यक्षता
यह बैठक भारतीय दृष्टिकोण से इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में खुली बहस की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से भी इस बात की जानकारी दी थी.
वर्तमान में भारत दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है. इससे पहले भारत यूएनएससी में 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85 और 1991-92 में सदस्य रह चुका है. इस समय अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता कर रहा है. जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. यूएनएससी में मौजूदा वक्त में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस स्थायी सदस्य की भूमिका निभा रहे हैं.
समुद्री सुरक्षा पर हमेशा से काम करता रहा है भारत
भारतीय इतिहास में सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से ही महासागरों ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत का हमेशा से प्रयास रहा है कि समुद्री क्षेत्र को साझा शांति और समृद्धि का एक माध्यम बनाया जा सके. इस तरह के महत्वों को देखते हुए 2015 में भारत सरकार ने ‘क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास’ (SAGAR-Security and Growth for all in the Region) के दृष्टिकोण को सामने रखा. जो महासागरों के लगातार उपयोग के लिए सहकारी उपायों पर केंद्रित है, साथ ही सुरक्षित तथा स्थिर समुद्री क्षेत्र के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है.
2019 के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में ‘हिन्द प्रशांत महासागर समुद्री पहल’ (IPOI-Indo-Pacific Oceans’ Initiative) के माध्यम से इस पहल को विस्तृत रूप दिया गया था. इसके तहत समुद्री सुरक्षा के सात स्तंभों पर जोर दिया गया था, जिनमें समुद्री पारितंत्र, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण और संसाधन साझा करना, आपदा के जोखिम को कम करना और प्रबंधन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग तथा व्यापार संपर्क व समुद्री परिवहन शामिल हैं.
प्रमुख देशों के चेहरे होंगे शामिल
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस बैठक में सदस्य देशों के कई प्रमुख चेहरे शामिल होंगे. नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मद बुहारी, केन्या के राष्ट्रपित उहुरु केन्याटा, वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह, अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन और कॉन्गो के राष्ट्रपति फेलिक्स शीसेकेदी इस ओपेन डिबेट में हिस्सा लेंगे.
9 अगस्त को 05:30 से शुरू होने वाली यह बैठक वर्चुअल तौर पर आयोजित की जाएगी जो 08:00 बजे तक चलेगी. बैठक में भाग लेने वाले सभी देश ऑनलाइन माध्यम से जुड़ेंगे और कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वेबसाइट पर किया जाएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)