प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर इशारों-इशारों में ही ओपेक को चेताया है. प्रधानमंत्री का कहना है कि तेल कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने की कोशिश तेल निर्यातक देशों के लिए ही मुसीबत साबित होगी. बुधवार को उन्होंने कहा कि दुनिया में सभी को सस्ती ऊर्जा मुहैया कराने के लिए जरूरी है कि तेल कीमतों पर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया जाए.
16वें इंटरनेशनल एनर्जी फोरम (IEF) के मंत्री स्तर की बैठक में नरेंद्र मोदी ने कहा कि बेवजह तेल की कीमतें बढ़ाने से आयातक देशों की मुसीबतें काफी बढ़ जाएंगी. इस बैठक में सऊदी अरब, ईरान और कतर के प्रतिनिधि शामिल थे.
मोदी ने कहा,
दुनिया पिछले काफी वक्त से तेल कीमतों के भारी उतार-चढ़ाव से जूझ रही है. हमें ऐसी कीमतें तय करनी होगी जिससे तेल उपभोक्ता और उत्पादक दोनों देशों को फायदा हो.
सस्ता तेल ओपेक देशों के लिए ही फायदेमंद
पीएम मोदी ने कहा कि में तेल और गैस के ज्यादा पारदर्शी और लचीले बाजार की ओर बढ़ना होगा. तभी हम दुनिया के लोगों की ऊर्जा जरूरतों को ठीक तरह से पूरा कर पाएंगे. भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश है और अपनी जरूरत के 80 फीसदी तेल का आयात करता है.
उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच पररस्पर सहयोग का रिश्ता बनाने पर जोर देते हुए पीएम ने कहा कि यह तेल उत्पादक देशों के हित में है कि दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की रफ्तार ठीक रहे. अगर तेल उपभोक्ता देशों की अर्थव्यवस्था ठीक रहेगी तो एनर्जी मार्केट का भी विस्तार होता रहेगा.
मोदी ने कहा, इतिहास गवाह रहा है कि जब भी कृत्रिम तरीके से तेल के दाम बढ़ाए गए तब-तब कम विकसित और विकासशील देशों में आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने एनर्जी फोरम को एक ऐसा मंच बनाने की अपील की जहां तेल कीमतों पर सहमति कायम हो सके. यह उपभोक्ता और उत्पादक दोनों के लिए फायदेमंद रहेगा.
प्रधानमंत्री का यह बयान इस खबर के बाद आया है कि जिसमें कहा गया है कि सऊदी अरब और रूस ने तेल सप्लाई घटाने के लिए थोड़े समय के लिए समझौता किया है.
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