पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में हुए फाइनेंस फ्रॉड मामले की जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) कर रही है. EOW ने गुरुवार को इस मामले में रियल एस्टेट कंपनी ‘हाउसिंग डिवेलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ (HDIL) के दो प्रमोटरों सारंग वाधवान और राकेश वाधवान को गिरफ्तार किया था. शुक्रवार को पुलिस ने HDIL के दोनों प्रमोटरों को कोर्ट में पेश किया.
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद HDIL के वाइस चेयरमैन-मैनेजिंग डायरेक्टर सारंग वाधवान और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राकेश वाधवान को 9 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.
आर्थिक अपराध शाखा ने क्या कहा?
- आरोपियों के पास अनसिक्योरड लोन का एक बड़ा हिस्सा है
- 75 फीसदी जमाकर्ताओं का पैसा आरोपियों को दे दिया गया
- फाइनेंस के साथ-साथ बाकी बैंकिंग के काम PMC बैंक ही देखता है
- संपत्तियों को बेचना सिविल कोर्ट का मामला है, और यह एक आपराधिक मामला है
- फिलहाल, आरबीआई इस मामले की निगरानी कर रहा है
- HDIL को दिए गए लोन की रकम छिपाने के लिए 21 हजार डमी खाते खोले गए
HDIL के राकेश कुमार और सारंग वाधवान के वकील की दलीलें
- हम इस कथित घोटाले के बारे में जानते हैं
- रिमांड मांगना अब एक चलन बन गया है
- इस स्तर पर प्राथमिक मुद्दा जमाकर्ताओं का हित है
- जांच के दौरान, सारंग और राकेश वाधवान को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन रिमांड कॉपी में आर्थिक अपराध शाखा का कहना है कि उन्होंने अपने लोन का ब्यौरा नहीं दिया. यह कहकर आर्थिक अपराध शाखा साबित करना चाहती है कि मेरे मुवक्किल उन्हें कॉपरेट नहीं कर रहे हैं
- जब से कथित घोटाला सामने आया है, मेरे मुवक्किल पीएमसी में RBI की ओर से नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर के साथ बातचीत कर रहे हैं
- जबकि सच्चाई ये है कि जॉय थॉमस के एक कबूलनामे से पता चलता है कि किसने क्या किया था?
- मेरे मुवक्किलों ने हमारे एसेट्स, लाइबिलिटीज और बाकी डिटेल को समझाने के लिए RBI एडमिनिस्ट्रेटर से मिलने की पेशकश की थी
- मेरे मुवक्किलों ने कहा था कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं
- मेरे मुवक्किलों ने अपनी संपत्ति को बेचने की पेशकश की थी ताकि वे लोन वापस कर सकें, इससे जमाकर्ताओं को मदद मिल सकती थी
- 1 अक्टूबर को, हमारे मुवक्किलों ने PMC हेडक्वार्टर में RBI एडमिनिस्ट्रेटर से मुलाकात की
- संपत्तियों को बेचने के लिए सेल डॉक्यूमेंट पर ओनर के दस्तखत की जरूरत थी. लेकिन इन गिरफ्तारियों ने मार्केट में भय पैदा किया और ऐसी माहौल बनाया गया कि मेरे मुवक्किलों की छवि दागदार है
- क्या संपत्तियों को जब्त करना या लोन वसूलने का यही एक तरीका है?
- अब इन संपत्तियों की वैल्यू में गिरावट आई है
- मेरे मुवक्किलों का लोन सिक्योर्ड है, क्योंकि उनकी संपत्तियां बैंक के पास हैं
- मेरे मुवक्किलों ने गिरफ्तारी से पहले स्वेच्छा से अपने पासपोर्ट आर्थिक अपराध शाखा को दे दिए थे
- मेरे मुवक्किलों ने पूरी तरह से बैलेंस शीट अपने लोन का खुलासा किया है
- मेरे मुवक्किलों की कुल 40 संपत्तियां, जिनकी वैल्यू 1000 करोड़ रुपये तक जा सकती थी, अब उनकी वैल्यू गिर गई है.
- 100 करोड़ रुपये की एक डील साइन होने वाली थी, लेकिन खरीदार ने इस संकट के तुरंत बाद खुद को डील से अलग कर लिया
- मेरे मुवक्किलों ने बीते 3 अक्टूबर को आरबीआई को भी लेटर लिखकर अपनी संपत्तियों को बेचने की पेशकश की थी. उन्होंने आरबीआई को ये भी बताया कि रियल एस्टेट सेक्टर में कैश की किल्लत से वे भी प्रभावित हुए हैं
- उन्होंने बताया कि रियल एस्टेट सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहा है
- हमारे मुवक्किलों का देश छोड़कर भागने की कोई मंशा नहीं थी
- सिर्फ नीरव मोदी और विजय माल्या भाग गए, इसका ये मतलब नहीं कि सब भाग जाएंगे
ED ने छह जगहों पर छापे मारे, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक मामले में कथित फर्जीवाड़े की जांच के तहत मुंबई और उसके निकटवर्ती इलाकों में छह स्थानों पर शुक्रवार को छापे मारे और मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया.
अधिकारियों ने बताया कि ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत एक आपराधिक शिकायत दर्ज की, जिसके बाद छापे मारे गए. ED का मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की ओर से दर्ज की गई एक FIR पर आधारित है.
ED से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अतिरिक्त सबूत जुटाने के लिए छापे मारे गए. ED और मुंबई पुलिस का मामला पूर्व बैंक मैनेजमेंट और ‘हाउसिंग डिवेलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ (HDIL) के प्रमोटरों के खिलाफ है.
क्या है PMC बैंक में हुआ फाइनेंस फ्रॉड केस?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से नियुक्त अधिकारी की शिकायत के आधार पर PMC बैंक के अधिकारियों के खिलाफ फर्जीवाड़े, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों के तहत इस सप्ताह की शुरुआत में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज की गई थी.
पुलिस ने बताया कि प्रारम्भिक जांच के अनुसार साल 2008 के बाद से बैंक को 4,355.46 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
प्राथमिकी में पीएमसी बैंक के पूर्व अध्यक्ष वरयम सिंह, प्रबंधक निदेशक जॉय थॉमस, एचडीआईएल के एक निदेशक और अन्य अधिकारियों के नाम हैं.
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