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PM के करीबी रहे नृपेंद्र मिश्रा अब PMO में नहीं रहेंगे

नृपेंद्र मिश्रा ने खुद को प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवामुक्त किए जाने का अनुरोध किया था: पीएम

Published
भारत
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नृपेंद्र मिश्रा अब पीएम मोदी के सेक्रेटरी नहीं रहेंगे. पीएम मोदी ने खुद इस बात की जानकारी दी है. इसी के साथ पीके सिन्हा को पीएमओ में ओएसडी नियुक्त किया गया है. प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा है कि 2019 के चुनाव नतीजे आने के बाद नृपेंद्र मिश्रा ने खुद को प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवामुक्त किए जाने का अनुरोध किया था.

2019 के चुनाव नतीजे आने के बाद श्री नृपेंद्र मिश्रा जी ने खुद को प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवामुक्त किए जाने का अनुरोध किया था. तब मैंने उनसे वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद पर बने रहने का आग्रह किया था. अब श्री नृपेंद्र मिश्रा जी के सेवामुक्त होने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. वे अपनी इच्छा के अनुरूप सितंबर के दूसरे हफ्ते से कार्यमुक्त हो जाएंगे. आगे के लिए उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
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पीएम ने एक के बाद एक कई ट्वीट में नृपेंद्र मिश्रा की जमकर तारीफ भी की है.

2014 में जब मैंने प्रधानमंत्री के रूप में दायित्व संभाला, तब मेरे लिए दिल्ली भी नई थी और नृपेंद्र मिश्रा जी भी नए थे. लेकिन दिल्ली की शासन-व्यवस्था से वे भली-भांति परिचित थे. उस परिस्थिति में उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवाएं दीं. उस समय उन्होंने न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से मेरी मदद की, बल्कि 5 साल देश को आगे ले जाने में, जनता का विश्वास जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एक साथी के रूप में 5 साल तक हमेशा उन्होंने साथ दिया.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

कौन हैं नृपेंद्र मिश्रा?

टॉप लेवल के ब्यूरोक्रेट के रूप में नृपेंद्र मिश्रा का लंबा और असाधारण करियर रहा है. मिश्रा को एक सक्षम और कारोबार समर्थक प्रशासक होने का श्रेय जाता है. वो दयानिधि मारन के मंत्री के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार सचिव रह चुके हैं और उनको ब्रॉडबैंड पॉलिसी का श्रेय जाता है.

  • नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के अधिकारी हैं.
  • उन्हें पहली मोदी सरकार में 28 मई 2014 को पीएम नरेंद्र मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था.
  • मिश्रा 2006 से 2009 के बीच ट्राई के अध्यक्ष रह चुके हैं. वह साल 2009 में इसी पद से रिटायर हुए थे.
  • मिश्रा की अध्यक्षता में ही ट्राई ने अगस्त 2007 में स्पेक्ट्रम की नीलामी की सिफारिश की थी.
  • 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले की सुनवाई में वह दिल्ली की एक कोर्ट में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश हो चुके हैं.

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