भगोड़े डायमंड कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण पर सुनवाई 7 सितंबर से लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट में शुरू होगी. ये सुनवाई पांच दिन तक चलेगी और 11 सितंबर को खत्म होगी. मोदी 11 हजार करोड़ से ज्यादा के पीएनबी घोटाले में आरोपी हैं. नीरव मोदी के खिलाफ दो प्रत्यर्पण याचिका दी गई है- एक सीबीआई और दूसरी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की.
मोदी मार्च 2019 के बाद से वांड्सवर्थ जेल में कैद है और उनकी जमानत याचिका पांच बार खारिज हो चुकी है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूके के प्रत्यर्पण कानून के तहत कोर्ट को ये तय करना है कि भारत सरकार ने जो मैटेरियल दिया है, उससे फ्रॉड और मनी लॉन्डरिंग का प्राइमा फेसी केस बनता है या नहीं. अपराध पर फैसला सुनाना इस सुनवाई का मकसद नहीं है.
रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल और भी सुनवाई होनी हैं और प्रत्यर्पण पर फैसला दिसंबर तक आ सकता है. फैसला गृह सचिव को सुझाव के तौर पर होगा.
मोदी पर क्या आरोप हैं?
नीरव मोदी पर गलत तरह से पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की एक मुंबई ब्रांच से 11,300 करोड़ रुपये के लोन लेने का आरोप है. सीबीआई का केस फ्रॉड तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) लेकर इतना बड़ा घोटाला करने से संबंधित है. वहीं, ED का केस फ्रॉड से मिले पैसे की लॉन्डरिंग से संबंधित है.
दूसरी प्रत्यर्पण की याचिका दो अतिरिक्त अपराध के आधार पर दी गई थी और ये सीबीआई के केस का हिस्सा थी. इसे 1993 भारत-यूके प्रत्यर्पण संधि के तहत 20 फरवरी को गृह सचिव प्रीति पटेल ने मंजूरी दी.
अतिरिक्त अपराध मोदी के सीबीआई जांच में हस्तक्षेप करने के आरोपों से संबंधित है. नीरव मोदी पर 'सबूतों को गायब करने' और 'गवाहों को डराने' का भी आरोप लगा है.
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