उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कासगंज (Kasganj) में 22 साल के अल्ताफ की मौत हो जाती है. जिसके बाद लापरवाही बरतने के आरोप में 5 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया जाता है. लेकिन अल्ताफ के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसकी हत्या की है. कस्टडी में मौत का ये पहला मामला नहीं है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 20 सालों में देशभर में कस्टडी में मौत के 1,888 मामले दर्ज हुए हैं. जिसमें से पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 मामले दर्ज हुए हैं और 358 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है. लेकिन केवल 26 पुलिसकर्मियों को ही दोषी ठहराया गया है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) द्वारा इकट्ठा किए गए के आंकड़ों से पता चलता है कि कस्टडी में हुई मौतों के लिए दोषी ठहराए गए 11 पुलिसकर्मियों की सबसे अधिक संख्या 2006 में थी, यूपी में सात और मध्य प्रदेश में चार दोषी पाए गए थे. हालांकि, डेटा यह नहीं बताता कि जिस साल में जो दोषी पाए गए हैं क्या उसी साल में उन पर मामला दर्ज था?
लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2020 में 76 लोगों की कस्टडी में मौतें हुईं, जिसमें गुजरात में सबसे अधिक 15 मौतें हुईं. दूसरे राज्य आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं. हालांकि, पिछले साल इस मामले में कोई दोषी सिद्ध नहीं हुआ.
एक रिटाइर्ड आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि "पुलिस के कामकाज में खामियों को स्वीकार किया जाना चाहिए और उन्हें सुधारना होगा". आगे वो कहते हैं कि, “पुलिसकर्मी इन मामलों की ठीक से जांच नहीं करते हैं. वे अपने सहयोगियों का बचाव करने की कोशिश करते हैं जो निश्चित रूप से गलत है. जब एक व्यक्ति की हिरासत में मृत्यु हो जाती है, तो जिम्मेदार व्यक्ति को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे उचित सजा मिले."
उत्तर प्रदेश में कस्टडी में मौत के मामले सबसे ज्यादा
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि, हिरासत में होने वाली मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश पूरे देश में टॉप पर है. 2018 से लेकर 2021 के दौरान यूपी में 1,318 लोगों की हिरासत में मौत हुई, जो पूरे देश का करीब 24% है. इनमें से 23 लोगों की जान पुलिस हिरासत में गई, जबकि 1,295 लोगों की मौत न्यायिक हिरासत में हुई है.
एनएचआरसी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 3 सालों में देश में 5,569 लोगों की मौत हिरासत में हुई है. इनमें से 5,221 लोगों की जान न्यायिक हिरासत के दौरान गई जबकि 348 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई है.
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