उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नियुक्ति को लेकर बी.एड. TET परीक्षा देने वालों का आंदोलन जारी है. बुधवार को पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए लाठियां बरसाईं. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने गर्भवती महिला तक को नहीं बख्शा.
पुलिस की लाठी एक गर्भवती महिला के पेट पर लगी, जिसके चलते महिला की हालत नाजुक बनी हुई है. फिलहाल पीड़ित महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
लंबे समय से राजधानी में जमे हैं प्रदर्शनकारी
बी.एड.- टीईटी 2011 के पास अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग को लेकर लंबे वक्त से राजधानी में जमे हुए हैं. बुधवार को भी लखनऊ के इको गार्डन में सैकड़ों अभ्यर्थी जमा थे. वह इको गार्डन से विधानसभा की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे थे. उन्हें विधानसभा तक पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस बल तैनात था.
इस दौरान पुलिसकर्मियों और अभ्यर्थियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. बाद में पुलिस ने अभ्यर्थियों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस की इस बर्बर कार्रवाई में गर्भवती महिला के पेट में लाठी लगी, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई.
इससे पहले भी पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच भिड़ंत हो चुकी है. बीते 29 मई को प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था. वहीं अभ्यर्थियों ने पुलिस पर पथराव भी किया था. इस भिड़ंत में कई पुलिसकर्मी और अभ्यर्थी घायल हो गए थे.
अभ्यर्थियों की मांगें क्या हैं?
- बीएड-टीईटी 2011 अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.
- साल 2011 में 72,825 पदों पर भर्ती निकाली गई थी.
- इन पदों पर टीईटी के अंकों पर भर्ती होनी थी, जिसे अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी
- अभ्यर्थियों ने एकेडमिक मेरिट पर भर्ती की मांग रखी
- इसी बीच साल 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार आ गई
- एसपी सरकार ने टीईटी मेरिट पर आधारित विज्ञापन रद्द कर, 7 दिसंबर 2012 को एकेडमिक मेरिट के आधार पर नया विज्ञापन जारी किया
- साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुराने विज्ञापन को सही मानते हुए उस पर ही भर्ती का आदेश दिया.
- इसके बाद अखिलेश सरकार ने विज्ञापन बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
- इस मामले को करीब 7 साल बीत चुके हैं. लेकिन अब तक इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है
सोशल मीडिया पर पुलिसिया कार्रवाई की आलोचना
सोशल मीडिया पर पुलिसिया कार्रवाई की जमकर आलोचना हो रही है. लोगों ने इस कार्रवाई के लिए योगी सरकार को भी निशाने पर लिया है.
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