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देसी और पोल्ट्री फार्म के अंडों में ज्यादा फायदेमंद कौन?

पोल्ट्री की मुर्गियां साल में 305 से 310 अंडे देती हैं, जबकि देसी मुर्गी 150 से 200 अंडे देती है.

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भारत
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 पोल्ट्री की मुर्गियां साल में 305 से 310 अंडे देती हैं, जबकि देसी मुर्गी 150 से 200 अंडे देती है.

अगर आपको भी यही लगता है कि देसी मुर्गियों के अंडे ज्यादा पौष्टिक होते हैं तो आप भी गलत साबित हो सकते हैं, क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार देसी अंडों के मुकाबले पोल्ट्री फार्म के अंडे ज्यादा पोषण से भरपूर व हाइजीनिक होते हैं.

"देसी और फार्मों के अंडे खाना लोगों की अपनी पसंद है लेकिन अगर गुणवत्ता की बात की जाए तो पोल्ट्री फार्मों के अंडों का सेवन करना चाहिए. क्योंकि इन अंडों में भरपूर मात्रा पोषण और हाइजीनिक होते है क्योंकि ये वैज्ञानिक तरीके से तैयार किए जाते हैं. फार्मों में मुर्गियों को संतुलित आहार दिया जाता है, साथ ही उनके रख-रखाव से लेकर खान-पान का पूरा ध्यान रखा जाता है." ऐसा बताते हैं, पोल्ट्री वैज्ञानिक डॉ. एयू किदवई.

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डॉ. किदवई आगे बताते हैं, "आमतौर पर देसी मुर्गियों को बाहर खाने के लिए छोड़ दिया जाता है. वो बचा खुचा खाती हैं और पानी भी गंदा पीती हैं. जबकि फार्मों में साफ पानी की व्यवस्था होती है. इसके अलावा देसी मुर्गियों को जहां पर रखा जाता है वहीं पर वो बीट करती है और वहीं अंडा देती हैं. अंडे का छिलका काफी मुलायम होता है और धीरे-धीरे वो सूखता है. सूखकर शैल बन जाता है. मुर्गियों की बीट में लाखों करोड़ों बैक्टीरिया होते है जो इस शैल में चले जाते है और वो खाने लायक नहीं रहते हैं."

देसी और फार्मों के अंडे खाना लोगों की अपनी पसंद है लेकिन अगर गुणवत्ता की बात की जाए तो पोल्ट्री फार्मों के अंडों का सेवन करना चाहिए. क्योंकि इन अंडों में भरपूर मात्रा पोषण और हाइजीनिक होते है क्योंकि ये वैज्ञानिक तरीके से तैयार किए जाते हैं.
डॉ. एयू किदवई, पोल्ट्री वैज्ञानिक

अंडे का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम व ओमेगा-3 फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. ये सभी पोषक तत्व शरीर के लिए बेहद जरूरी होते हैं. साथ ही अंडे में पाए जाने वाले विटामिन ए से आंखों की रोशनी बढ़ती है. लोग देसी अंडो को ज्यादा गुणकारी समझते हैं इसलिये बाजार में इनकी कीमत साधारण अंडों की तुलना में काफी ज्यादा होती है.

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अंडे की जर्दी में पीले रंग के बारे में डॉ. किदवई बताते हैं, "मुर्गियों को आहार में जो मक्का दिया जाता है वो कई रंगों में होता है मक्का सफेद पीली और गहरी पीला होता है. हर इलाके में अलग मक्का होता है. इसलिए वो जर्दी में वहीं रंग ले लेती है. लेकिन उसमें विटामिन ए पूरी मात्रा में रहता है. क्योंकि पोल्ट्री फामूले में विटामिन ए मिलाकर दिया जाता है."

मुर्गी के आहार के अनुसार अंडे की पौष्टिकता तय होती है. देसी अंडे में कोई पौष्टिक तत्व कम हो सकता है तो कुछ ज्यादा. पोल्ट्री की मुर्गियां साल में 305 से 310 अंडे देती हैं, जबकि देसी मुर्गी 150 से 200 अंडे देती है. पोल्ट्री की मुर्गियों को वजन के आधार पर खुराक दी जाती है, जो संतुलित होती है. देसी मुर्गियों का आहार निश्चित नहीं होता.

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इडिया के कार्यकारी सदस्य शब्बीर अहमद खान बताते हैं, "पोल्ट्री फार्मों में मुर्गियों को भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम और मिनिरल्स दिया जाता है. जो हमारे शरीर के लिए भी आवश्यक है. बड़े-बड़े फार्मों में बायोसिक्योरिटी के जरिए पक्षियों को सुरक्षित रखा जाता है. ताकि उनको कोई बीमारी न हो. वहीं गांव और मौहल्लों में पाली मुर्गियां गंदा पानी और बचा कुचा खाकर ही रहती है. तो अंडे में वैसी ही पौष्टिकता रहती है."

"जो अंडा ज्यादा बड़ा होता है उसमें ज्यादा मात्रा में पोषण होता है. जो अंडा छोटा होता है उसमें कम पोषण होता है. फार्मों में वैज्ञानिक तरीके से मुगियों को पाला जाता है. मुर्गियों को अगर संतुलित आहार नहीं दिया गया तो न उनका अंडा बड़ा होगा न उस अंडे के अंदर पोषक तत्व होंगे. देसी मुर्गियों के अंडे ज्यादातर छोटे होते है लेकिन अंगर संतुलित आहार मिले तो वो बड़े सकते है." डॉ किदवई ने बताया.

(दिति बाजपेयी की ये रिपोर्ट गांव कनेक्शन से ली गई है)

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