उत्तर प्रदेश में बिजली महंगी हो गई है. राज्य की योगी सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के साथ-साथ कॉर्मशियल बिजली दरें बढ़ाने का फैसला किया है.
राज्य सरकार ने बिजली की नई दरों का आदेश जारी कर दिया है. आदेश के मुताबिक, घरेलू समेत ज्यादातर श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो गई है. नए आदेश के मुताबिक, बिजली दरों में औसतन 11.69 फीसदी की वृद्धि की गई है.
- बिजली दरों में 11.69% फीसदी की वृद्धि
- घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 8 से 12 फीसदी की वृद्धि
- औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए 5 से 10 फीसदी की वृद्धि
- शहरी किसानों के लिए 9 फीसदी की वृद्धि
- ग्रामीण किसानों के लिए 15 फीसदी की वृद्धि
- ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज 400 से बढ़ाकर 500 कर दिया गया है
- प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए छूट की सीमा बढ़ाई गई. 1.25 फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी की गई
मायावती ने कहा- जनविरोधी है सरकार का फैसला
बिजली की दरें बढ़ाए जाने पर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने योगी सरकार को निशाने पर लिया है.
मायावती ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ‘उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है. इससे प्रदेश की करोड़ों खासकर मेहनतकश जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढे़गा. उनका जीवन और भी अधिक त्रस्त और कष्टदायी होगा. सरकार इसपर तुरन्त पुनर्विचार करे तो यह बेहतर होगा.’
मायावती के बयान पर ऊर्जा मंत्री का पलटवार
मायावती के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, 'ये सपा-बसपा के पाप रहे कि भ्रष्टाचार बढ़ता गया और बिजली कंपनियां भारी घाटे में चली गईं. सपा-बसपा के कार्यकाल में सिर्फ दरें बढ़ती थीं. भाजपा के कार्यकाल में दरें कम और बिजली आपूर्ति के घंटे ज्यादा बढ़े हैं. सरकार ने बढ़ती दरों से गरीब को मुक्त रखा है. पूर्व सरकारों की आर्थिक अनियमितताओं के चलते मजबूरीवश कुछ श्रेणियों की बिजली दरों में आंशिक बढ़ोतरी करनी पड़ी है. अब जिलों को 24, तहसील को 20 और गांवों को 18 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है. पूर्व सरकारों में कोई रोस्टर नहीं था. बिजली सिर्फ चहेते जिलों को ही नसीब होती थी.'
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