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प्रणब मुखर्जी बोले- खत्म नहीं होने दे सकते हैं ‘भारतवर्ष’ की पहचान

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत की अनोखी पहचान का किया जिक्र

Published
भारत
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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक कार्यक्रम में भारत में मीडिया की आजादी पर अपने विचार रखे. मुखर्जी ने इस दौरान भले ही नागरिकता कानून का सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया हो, लेकिन इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की पहचान को कभी भी खत्म करने नहीं दिया जा सकता है. इसकी पहचान हम खो नहीं सकते हैं.

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एडिटर्स गिल्ड की तरफ से इंडिया इस्लामिक सेंटर में आयोजित राजेंद्र माथुर मेमोरियल लेक्चर में प्रणब मुखर्जी ने भारत की अनोखी पहचान और महानता का जिक्र किया. उन्होंने इस दौरान कहा,

“जब भी मैं अपनी आंखें बंद करता हूं और भारत के बारे में सोचता हूं तो मेरे दिमाग में 3.3 मिलियन स्क्वॉयर किमी और 1.3 बिलियन की आबादी नजर आती है. हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे बीच 7 मुख्य धर्म, हमारे देश में 122 भाषा, 1600 बोलियां एक ही संविधान, एक सिस्टम और एक पहचान के साथ हैं. यही इंडिया है, यही भारतवर्ष है. इस पहचान को कभी भी खो नहीं सकते हैं. इसे खत्म नहीं होने दिया जा सकता है और अगर हम इसे खत्म करने की कोशिश करेंगे तो कुछ नहीं बचेगा. भारत के नाम से किसी को नहीं जाना जाएगा.”

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संसदीय व्यवस्था पर दी थी सलाह

इससे पहले प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा की सीटें बढ़ाने की भी सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि लोकसभा की सीटें 543 से बढ़ाकर 1000 कर देनी चाहिए और इसी तरह राज्यसभा की सीटें भी बढ़ाई जानी चाहिए. प्रणब मुखर्जी ने इसके पीछे यह दलील दी थी कि भारत में निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के लिए वोटर्स की संख्या बहुत ज्यादा है. इस दौरान मुखर्जी ने नया संसद भवन बनाए जाने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत हैरानी होती है कि नए संसद भवन से भारत में संसदीय व्यवस्था के कामकाज में कैसे मदद मिलेगी या कैसे सुधार होगा.’’

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