पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि साल 2012 के राष्ट्रपति चुनाव के पहले शिवसेना के दिवंगत नेता बाल ठाकरे से उनकी मुलाकात को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नाराज हो गईं थीं. इतना ही नहीं सोनिया ने मुखर्जी को इस प्रकार की मुलाकातों से दूर रहने की भी सलाह दी थी. मुखर्जी ने इस बात का खुलासा अपनी बुक ‘द कोलिशन इयर्स’ में किया है.
उन्होंने कहा कि वह ठाकरे से एनसीपी लीडर शरद पवार की सलाह पर मिले थे. एनसीपी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए-2 सरकार में शामिल थी. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि इलेक्शन कैंपेन के सिलसिले में वह 13 जुलाई 2012 को मुंबई गये थे. शिवसेना ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का सहयोगी होने के बावजूद मुखर्जी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था. इसके बाद वह शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे से मिलने गये थे.
मुखर्जी ने अपनी बुक में लिखा है, ‘मैंने सोनिया की नामंजूरी के बावजूद ठाकरे से मिलने का निर्णय किया, क्योंकि मुझे लगा कि जिस व्यक्ति ने मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करने में अपने पारंपरिक गठबंधन भागीदार का साथ छोड़ दिया हो, उसे अपमानित महसूस नहीं करना चाहिए.’
पवार ने दी थी ठाकरे से मिलने की सलाह
मुखर्जी ने लिखा है कि उन्होंने सोनिया और पवार दोनों से यह पूछा था कि क्या उन्हें अपनी मुंबई यात्रा में ठाकरे से मिलना चाहिए? ठाकरे के मुखर्जी को समर्थन देने के पीछे पवार का भी कुछ प्रभाव था. पवार की सलाह सोनिया से बिल्कुल अलग थी और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मुखर्जी को ठाकरे से मिलना चाहिए.
पवार ने कहा कि अगर मुखर्जी अपनी मुंबई यात्रा में उनसे नहीं मिलते हैं तो ठाकरे उसे अपने व्यक्तिगत अपमान की तौर पर लेंगे.
मुखर्जी ने लिखा, सोनिया मेरे बाल ठाकरे से मिलने को लेकर उत्सुक नहीं थी और उन्होंने मुझे इससे परहेज के लिए कहा था. ठाकरे को लेकर सोनिया गांधी की आपत्तियां उनकी नीतियों के बारे में उनकी अपनी सोच पर आधारित थीं.
मुखर्जी ने कहा, ‘दिल्ली लौटने पर कांग्रेस नेता गिरिजा व्यास उनसे मिली थीं और उन्हें बताया था कि सोनिया और राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ठाकरे के साथ उनकी बैठक को लेकर नाराज हैं.’
...तो इसलिए मानी शरद पवार की सलाह
उन्होंने लिखा, ‘मैं दिल्ली लौट आया और अगली सुबह गिरिजा व्यास ने मुझसे मुलाकात की. उन्होंने मुझे बताया कि ठाकरे के साथ मेरी मुलाकात को लेकर सोनिया गांधी और अहमद पटेल नाराज हैं. मैं उनकी नाराजगी का कारण समझता हूं. पर जैसा कि मैंने लिखा है कि मैंने वहीं किया, जो मुझे सही लगा. मुझे शरद पवार, जो कि यूपीए-2 का महत्वपूर्ण हिस्सा थे, की दी गयी सलाह की संवेदनशीलता को ध्यान में रखना था.
उन्होंने कहा, अपने सहयोगियों के प्रभावी हस्तक्षेप और सहयोग के बिना इसके (यूपीए के) लिए अपना कार्यकाल पूरा करना संभव नहीं हो पाता. यह पहले से ही मालूम था कि शरद पवार कई मुद्दों पर पहले ही नाराज थे और अन्य गठबंधन भागीदारों के बीच भी संबंधों में तनाव था. मैं उन्हें नाराजगी का और कारण नहीं देना चाहता था.
मुखर्जी ने लिखा, उन्होंने (पवार ने) मजाक में कहा कि मराठा टाइगर के लिए रॉयल बंगाल टाइगर का समर्थन करना स्वाभाविक ही है.
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