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प्रणब दा का उग्र राष्ट्रवाद पर संदेश: स्वीकार नहीं असहिष्णु भारत

प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि देश में चर्चा और वाद-विवाद तो समझ में आता है लेकिन असहिष्णुता मेरी समझ से बाहर है.

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भारत
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राष्ट्रवाद और असहिष्णुता पर बहस के इस दौर में कड़ा सियासी संदेश देते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि देश में चर्चा और वाद-विवाद तो समझ में आता है लेकिन असहिष्णुता मेरी समझ से बाहर है.

राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद लोगों के बीच कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी की यह पहली शिरकत थी. मौका था इतिहासकार और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुगाता बोस की किताब ‘द नेशन एज मदर, एंड अदर विजन्स ऑफ नेशनहुड’ के लॉन्च का. मौके पर स्कॉलर प्रताप भानु मेहता और कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी मौजूद थे.

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देखिए मजहब, राजनीति और राष्ट्रवाद जैसे मौजूदा मुद्दों पर कार्यक्रम में क्या चर्चा हुई.

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