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इस्तीफे पर PB मेहता: ‘मेरे लेखन को अशोका के लिए खतरा समझा गया’

प्रताप भानु मेहता ने अशोका यूनिवर्सिटी से 16 मार्च को इस्तीफा दे दिया था

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भारत
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पॉलिटिकल साइंटिस्ट प्रताप भानु मेहता ने अशोका यूनिवर्सिटी से 16 मार्च को इस्तीफा दे दिया था. मेहता ने कहा है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें ये साफ कर दिया गया था कि इंस्टीट्यूट के साथ उनका संबंध 'पॉलिटिकल लायबिलिटी समझा जा सकता है.'

मेहता ने अपने खत में कहा कि उनके सार्वजानिक लेखन को यूनिवर्सिटी के लिए खतरा समझा जाने लगा था.

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“एक राजनीति जो आजादी और सभी नागरिकों के लिए बराबर सम्मान के संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करती है, उसके समर्थन में मेरे सार्वजानिक लेखन को यूनिवर्सिटी के लिए खतरा समझा जाने लगा था. यूनिवर्सिटी के हित में मैं इस्तीफा देता हूं.” 
प्रताप भानु मेहता

मेहता ने लिखा, "ये साफ है कि अब मेरे अशोका छोड़ने का समय आ गया है." उन्होंने कहा कि एक उदार यूनिवर्सिटी को पनपने के लिए उदार राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ की जरूरत होती है.

हालांकि, मेहता ने अपने इस्तीफा पत्र में यूनिवर्सिटी से निवेदन किया कि वो उनके ड्राइवर का ध्यान रखे और उसके लिए अंतरिम मदद की मांग की, जबतक कि वो उसके लिए कोई दूसरा इंतजाम नहीं कर देते.

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पूरा इस्तीफा पत्र

प्रिय प्रोफेसर मालबिका सरकार,

मैं अशोका यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर के पद से इस्तीफा देने के लिए लिख रहा हूं. फाउंडर्स से मिलने के बाद ये साफ हो गया है कि यूनिवर्सिटी से मेरा संबंध पॉलिटिकल लायबिलिटी समझा जा सकता है. मेरा सार्वजानिक लेखन जो उस राजनीति के समर्थन में है, जो आजादी और सभी नागरिकों के लिए बराबर सम्मान के संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करती है, उसे यूनिवर्सिटी के लिए खतरा समझा जाने लगा है. यूनिवर्सिटी के हित में मैं इस्तीफा देता हूं. मैं निवेदन करता हूं कि इस्तीफा त्वरित प्रभाव से हो. मैं एक क्लास पढ़ा रहा हूं और बच्चों को बीच में नहीं छोड़ना चाहता. लेकिन मुझे लगता है कि यूनिवर्सिटी कोई उपाय खोज लेगी. अगर कोई उपाय नहीं निकलता है तो मैं अनौपचारिक रूप से बाकी क्लास खत्म कर सकता हूं.

अशोका में अच्छे साथी और छात्रों से मिलना बहुत अच्छा रहा है. मैं उम्मीद करता हूं कि इंस्टीट्यूट कामयाब रहे. मैं आपका और चांसलर का अशोका में रहने के दौरान निजी अनुकंपा के लिए धन्यवाद करता हूं.

ये साफ है कि मेरा अशोका से जाने का समय आ गया है. एक उदार यूनिवर्सिटी को पनपने के लिए उदार राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ की जरूरत होती है. मुझे उम्मीद है कि यूनिवर्सिटी ऐसा माहौल बनाने में भूमिका निभाएगी. नीत्शे ने एक बार कहा था, "यूनिवर्सिटी में सच के लिए जिंदा रहना मुमकिन नहीं." मैं उम्मीद करूंगा कि ये भविष्यवाणी सच न हो. लेकिन मौजूदा माहौल की रोशनी में प्रशासन और फाउंडर्स को अशोका के मूल्यों के लिए एक नई प्रतिबद्धता चाहिए होगी और अशोका की आजादी के लिए एक नया सहस.

मेरा एक निवेदन है कि प्रशासन सभी ट्रांजिशन औपचारिकताएं आसानी से करने में सहयोग दे. अगर मेरे ड्राइवर गजेंद्र साहू के लिए कोई व्यवस्था को पाए, तो मैं बहुत आभारी रहूंगा. उन्होंने मेरे साथ नौकरी बदली हैं और उनको सजा नहीं मिलनी चाहिए. अगर उन्हें कुछ अंतरिम मदद दी जा सके, जब तक कि मैं कोई दूसरी व्यवस्था न कर दूं तो मैं आभारी रहूंगा.

मैं हमेशा अशोका के मूल्यों का समर्थक रहूंगा. कृपया अशोका के सभी छात्रों, स्टाफ और फैकल्टी तक मेरा आभार पहुंचा दें. वो सभी हमेशा पेशेवर, सहायक और उदार रहे हैं.

मैं एक हार्ड कॉपी भी साइन करके आपको भेज दूंगा. लेकिन इस मेल को मेरा इस्तीफा समझा जाए.

पूरे सम्मान के साथ,
प्रताप भानु मेहता

Cc: चांसलर, रूद्रांग्शु मुखर्जी

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