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“मैं गर्भवती हूं, मेरी जिंदगी को खतरा’’-दिल्ली दंगों की चश्मदीद

रुबीना ने आरोप लगाया है कि ACP बीजेपी नेता कपिल मिश्रा से आदेश ले रहे थे

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भारत
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35 साल की रुबीना बानो 9 महीने की गर्भवती हैं. उनकी डिलीवरी की अनुमानित तारीख निकल चुकी हैं और डॉक्टरों ने उनसे कहा कि कोख में बच्चे के टेढ़ा हो जाने की वजह से उन्हें सी-सेक्शन करना होगा. लेकिन सिर्फ यही चिंता नहीं है जिसका सामना रुबीना अभी कर रही हैं.

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रुबीना उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग में एंटी-CAA प्रदर्शन स्थल पर पुलिस बर्बरता और 24 फरवरी को शुरू हुए दंगों की चश्मदीद गवाह हैं. उन्होंने 19 मार्च को ईदगाह रिलीफ कैंप में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद से वो दिल्ली पुलिस और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और मोहन सिंह बिष्ट के समर्थकों पर उत्पीड़न का आरोप लगा रही हैं.

ईदगाह रिलीफ कैंप में पुलिस हेल्प डेस्क ने उनकी शिकायत को डायरी एंट्री नंबर 82 के तौर पर दर्ज किया और इस पर दयालपुर पुलिस स्टेशन का स्टांप है.

रुबीना ने शिकायत में ACP अनुजज कुमार, दयालपुर पुलिस स्टेशन के SHO, कपिल मिश्रा और बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट के समर्थकों को हिंसा का जिम्मेदार बताया है.

'आज तुम्हें जिंदगी से आजादी देंगे'

अपनी शिकायत में रुबीना ने आरोप लगाया है कि ACP अनुज कुमार, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा से आदेश ले रहे थे और उन्होंने जितने हो सके उतने लोगों को मारने का वादा किया था. उनकी शिकायत का एक हिस्सा ये है:

“मैं सुबह 11 बजे प्रदर्शन स्थल पहुंची और देखा कि ACP अनुज कुमार और दयालपुर के SHO कई पुलिसवालों और मिलिट्री यूनिफॉर्म पहने लोगों के साथ महिला प्रदर्शनकारियों बहस कर रहे थे और उन्हें गाली दे रहे थे. वो कह रहे थे- आज तुम्हें जिंदगी से ही आजादी दे देंगे.

पुलिस के साथ काफी भीड़ थी. मुझे याद है कि मैंने उनमें से कई लोगों को मोहन सिंह बिष्ट के साथ चुनाव के समय देखा था. कई आदमियों ने गले में मफलर डाल रखा था और उन्होंने लाठियां, तलवारें, पत्थर, बंदूकें और बम ले रखे थे. मैं ACP अनुज कुमार के पास गई और उनसे पूछा कि वो हमें क्यों परेशान कर रहे हैं जबकि हम टेंट में बैठकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं.

ACP कुमार ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और कहा 'कपिल मिश्रा और उसके लोग आज यहीं तुम्हें तुम्हारी जिंदगी से आजादी देंगे.'

“तभी दयालपुर पुलिस स्टेशन के SHO कुमार के पास आये और उन्हें फोन देते हुए कहा कि ‘कपिल मिश्रा जी लाइन पर हैं’. मिश्रा से बात करते हुए ACP ने हां में हां मिलाते रहे.” 

फिर उन्होंने फोन रखने से पहले कहा, 'फिक्र मत करो, लाशें बिछा देंगे. इनकी पुश्तें याद रखेंगी.' ACP अनुज कुमार ने फोन रखा और SHO समेत बाकी लोगों से हमें पीटने को कहा."

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लाठियों और पत्थरों से हमला हुआ: रुबीना

रुबीना का दावा है कि ACP अनुज कुमार ने दंगाइयों के साथ मिलकर प्रदर्शन स्थल पर लगे स्वतंत्रता सेनानियों के पोस्टर फाड़े. वो दावा करती हैं कि मोहन नर्सिंग होम की छत पर खड़े दंगाइयों ने पत्थर और बम फेंके. जब महिलाओं ने भागने की कोशिश की तो दंगाइयों ने कथित रूप से जवान महिलाओं के साथ अभद्रता की. रुबीना दावा करती हैं कि जब कुछ आदमी महिलाओं और लड़कियों को बचाने आगे आए, तो दंगाइयों ने उन पर तलवारों और लाठियों से हमला किया और पुलिस ने गोली चलाई.

रुबीना उस समय तीन महीने की गर्भवती थीं और कथित रूप से उन पर लाठियों, पत्थरों और राइफल की बटों से हमला हुआ. जब वो गिर गई थीं तो उन्हें अल हिंद अस्पताल ले जाया गया था. वो दावा करती हैं कि अस्पताल के स्टाफ ने एम्बुलेंस के लिए कॉल किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.  

दो दिन बाद उन्हें AIIMS और फिर GTB अस्पताल ले जाया गया. GTB में स्टाफ ने उनसे SHO से एक इजाजत पत्र लाने को कहा. स्टाफ ने कथित रूप से रुबीना से कहा कि ऊपर से आदेश हैं कि किसी का भी इलाज नहीं किया जाएगा.

शिकायत में रुबीना ने लिखा है कि SHO ने उनकी शिकायत लेने से मना कर दिया और कहा कि वो किसी भी आरोपी की शिकायत नहीं लेंगे. रुबीना ने आरोप लगाया कि SHO ने उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करने की धमकी दी थी.

30 जुलाई को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के DCP ऑफिस में अपनी दूसरी शिकायत में रुबीना ने आरोप लगाया कि पुलिसवालों और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और मोहन सिंह बिष्ट के समर्थकों ने धमकी दी है कि वो उन्हें किडनैप कर उनके बच्चे को कोख में ही मार देंगे, अगर उन्होंने शिकायत वापस नहीं ली.  

उन्होंने दावा किया है कि 24 जुलाई को हथियारबंद गुंडे उनके घर पहुंच गए थे और उन्हें जान से मारने की धमकी दी. वो दावा करती हैं कि तब से उनके घर के बाहर गुंडे घूम रहे हैं.

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मेरे पति को धमकाया गया: रुबीना

रुबीना ने आरोप लगाया है कि गुंडों ने उनके पति को एक शाम रोक कर धमकाया था. उनके पति से कहा, "तेरी बीवी को समझ नहीं आ रहा कि वो किन लोगों से पंगा ले रही है. उसे समझाओ कि वो चुपचाप शिकायत वापस लेले नहीं तो तुम सब मारे जाओगे."

जब मदद की कई अपील पर पुलिस ने कथित रूप से कार्रवाई नहीं की, तो रुबीना ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी शिकायत पर FIR दर्ज होने और परिवार की सुरक्षा के लिए याचिका दायर की.

7 अगस्त को वो अपनी याचिका वापस लेने को तैयार हो गईं जब दिल्ली पुलिस के वकील ने ये अंडरटेकिंग दी कि रुबीना की शिकायत की जांच होगी और उन्हें सुरक्षा दी जाएगी. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि रुबीना को दयालपुर पुलिस स्टेशन के नए SHO का नंबर दिया जाएगा जिससे कि वो जरूरत पड़ने पर कॉल कर सकें.

दो हफ्ते गुजर गए हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. रुबीना का दावा है कि गुंडे अब भी घर के बाहर घूमते हैं और वो लगातार डर के साये में जी रही हैं.

रुबीना के वकील महमूद प्राचा ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस को हाई कोर्ट का कोई लिहाज नहीं है. प्राचा ने कहा, “अंडरटेकिंग के बावजूद अभी तक सुरक्षा नहीं दी है. पुलिस चाहती है कि वो शिकायत वापस ले. उन्हें सुरक्षा देने की बजाय वो उनके बच्चे को मारने की धमकी दे रहे हैं. वो किसी के बारे में नहीं सोचते.” 

जब दिल्ली पुलिस के वकील अमित प्रसाद से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि रुबीना को सुरक्षा की जरूरत पड़ने पर SHO को फोन या मेसेज करना था. प्रसाद ने कहा, "मैंने पुलिस से पता किया और उन्हें 24 अगस्त को उनसे मेसेज आया था कि उन्हें अपने वकील के पास जाना है."

प्रसाद ने कहा. "SHO ने तुरंत जवाब दिया था और उनसे समय पूछा था लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. हाई कोर्ट का बयान उनकी मेडिकल स्थिति को लेकर था लेकिन उसे दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है."

प्रसाद ने पुष्टि कि है कि रुबीना का नाम एक दंगे के केस में बताकर आरोपी है लेकिन उनके खिलाफ मेडिकल स्थिति की वजह से कोई जोर-जबरदस्ती वाली कार्रवाई नहीं हुई है.

करावल नगर के विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने सभी आरोपों का खंडन किया है और दंगा पीड़ितों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया.

वो मेरा नाम शिकायतों में जोड़ रहे हैं जबकि मैं किसी के साथ देखा भी नहीं गया. इसका क्या मतलब है कि उन्होंने मेरे साथ चुनाव प्रचार में जाने वाले लोगों को दंगे में शामिल देखा है? 
मोहन सिंह बिष्ट

"मैं इन सबमें कैसे आया? प्रचार के समय मैं 500 लोगों के साथ घूम रहा था. एक लाख लोगों ने मुझे वोट दिया. मैं कैसे जानूंगा कि कौन अपराधी है. मैं इलाके से पांच बार विधायक रहा हूं. मुझे कई लोग जानते हैं और मिलते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं सब लोगों की हरकत के लिए जिम्मेदार हूं."

रुबीना ने जिन ACP अनुज कुमार पर आरोप लगाए हैं, वो चांदबाग और गोकुलपुरी में हुई हिंसा में घायल हो गए थे. पुलिस का दावा है कि उनके सर पर गंभीर चोट आई थी, जब वो DCP शाहदरा अमित शर्मा को बचा रहे थे.

कुमार को अब साउथ डिस्ट्रिक्ट के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर के पद पर प्रमोट कर दिया गया है.

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पुलिस पर निराधार आरोप: एडिशनल DCP कुमार

एडिशनल DCP कुमार से जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा, "मैं सभी आरोपों पर जवाब नहीं दे सकता. मैं कोर्ट में जवाब दूंगा. हमारे पास अपनी कहानी के समर्थन में टेक्निकल सबूत हैं. उस दिन गोकुलपुरी में हुई हिंसा में कई पुलिसवालों को गोली लगी थी. हमारे पास 70 MLC हैं जो हमारे दावे का समर्थन करते हैं. एक पुलिसवाले की मौत हो गई. पुलिस पर लगे सभी आरोप निराधार हैं."

जब हमने रुबीना से आखिरी बार बात की थी तो वो बहुत परेशान थीं. उन्होंने हमें बताया कि पुलिस 23 अगस्त को उनके घर आई थी और उनके 15 साल के बेटे को दंगे से संबंधित एक केस में उठाने की धमकी दी थी.

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