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खबरों के नाम पर एंटरटेनमेंट दिखा रहा मीडिया का एक तबका: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति कोविंद ने रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स के दौरान भाषण में फेक न्यूज का भी जिक्र किया

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भारत
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देश में पत्रकारिता जगत के सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड रामनाथ गोयनका से कई पत्रकारों को सम्मानित किया गया है. इस सम्मान से उन पत्रकारों को नवाजा जाता है, जिन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम किए हों. अवॉर्ड राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों दिया गया. इस दौरान राष्ट्रपति ने अवॉर्ड जीतने वाले सभी पत्रकारों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि सभी पत्रकारों के लिए महात्मा गांधी एक अच्छे गाइड हैं. जिन्होंने हमेशा सच को सामने रखा.

बता दें कि क्विंट को भी तीन कैटेगरी में रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला है. वहीं क्विंट हिंदी को भी हिंदी पत्रकारिता कैटेगरी में अवॉर्ड मिला.

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रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा,

“ब्रेकिंग न्यूज के सिंड्रोम में ‘फाइव डब्ल्यू’ का प्रचलन लगातार खत्म होता जा रहा है. जिसे पुराने लोग किसी भी स्टोरी के एक न्यूज रिपोर्ट के तौर पर पेश किए जाने के लिए काफी जरूरी मानते थे. फेक न्यूज काफी बढ़ रही हैं. लोग खुद को पत्रकार बताकर ऐसी खबरों का चलन बढ़ा रहे हैं. टेक्नोलॉजी ने एक नए तरह की पत्रकारिता को जन्म दिया है. जिससे जर्नलिस्ट तथ्यों को खुलकर सामने रख सकते हैं. साथ ही तस्वीर के हर पहलू को सामने रख सकते हैं.”
रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने आगे कहा, "मैं जानता हूं कि आज एक पत्रकार को अपनी नौकरी में कई तरह रोल अदा करने होते हैं. कभी वो एक खोजी पत्रकार की भूमिका निभाते हैं तो कभी खुद फरियादी बनते हैं और कभी-कभी खुद जज की भूमिका भी निभाते हैं. लेकिन पावर होने के बाद ये सारी कवायद जवाबदेही के साथ होनी जरूरी हैं?"

राष्ट्रपति कोविंद ने मीडिया के उस तबके का भी जिक्र किया, जहां खबरों के नाम पर एंटरटेनमेंट जैसी चीजें दिखाई जाती हैं. उन्होंने कहा,

“मीडिया का एक खास तबका न्यूज के नाम पर एंटरटेनमेंट दिखा रहा है. समाजिक असमानता की तस्वीर दिखाने वाली खबरों को नजरअंदाज किया जा रहा है. उनकी जगह ट्रिविया ने ले ली है. लेकिन मुझे विश्वास है कि अच्छी पत्रकारिता लंबे समय तक जिंदा रहेगी. जिस तरह की पत्रकारिता को आज हम यहां सेलिब्रेट कर रहे हैं.”

गणेश शंकर विद्यार्थी को किया याद

राष्ट्रपति कोविंद ने वरिष्ठ पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी को भी याद किया. उन्होंने कहा, “जैसा कि आपको पता है कि मेरा जन्म कानपुर में हुआ था. जिसे पत्रकारिता के काफी उच्च मानकों के लिए जाना जाता है. गणेश शंकर विद्यार्थी एक महान पत्रकार थे. जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कानपुर में हुए सांप्रदायिक हिंसा की आग को बुझाने के लिए लगा दी. बतौर पत्रकार उनके लिखे गए शब्द समाज के दबे कुचले वर्ग के लिए सोचने को मजबूर करने वाले थे. उन्होंने प्रताप नाम से अपना अखबार शुरू किया था.” इस अखबार को शुरू करते हुए उन्होंने लिखा था-

“किसी की प्रशंसा या अप्रशंसास, किसी की प्रसन्नता या अप्रसन्नता, किसी की घुड़की या धमकी हमें अपने सुमार्ग से विचलित नहीं कर पाएगी, सत्य और न्याय हमारे भीतर ही पथ प्रदर्शक होंगे. सांप्रदायिक और व्यक्तिगत झगड़ों से प्रताप सदैव अलग रहने की कोशिश करेगा. उसका जन्म किसी विशेष सभा, संस्था, व्यक्ति और मत के पालन पोषण रक्षण या विरोध के लिए नहीं हुआ है. हम न्याय में राजा और प्रजा दोनों का साथ देंगे, लेकिन अन्याय में दोनों में से किसी का भी नहीं.”
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बता दें कि द क्विंट को तीन रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिले हैं. क्विंट के चार पत्रकारों की तीन स्पेशल रिपोर्ट को उत्कृष्ठ पत्रकारिता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार, 2018 मिला है. क्विंट हिंदी को हिंदी पत्रकारिता कैटेगरी में अवॉर्ड मिला है, जो बेहद विशिष्ट है क्योंकि हमारी डॉक्यूमेंट्री को तमाम हिंदी अखबारों, खबरिया चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म के बीच सर्वश्रेष्ठ माना गया.

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