राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि जो लोग सत्ता में हैं, उनसे सवाल किए जाने की जरुरत है क्योंकि ये राष्ट्र और एक वास्तविक लोकतांत्रिक समाज को संरक्षित रखने का मूल तत्व है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोक बहस में अधिक गुंजाइश होनी चाहिए क्योंकि अगर लोग दूसरों की आवाज सुनने से इनकार कर देंगे तो इससे लोकतंत्र नुकसान में रहेगा.
उन्होंने रामनाथ गोयनका स्मारक व्याख्यान देते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में सभी पक्षों, पार्टियों से लेकर उद्योगपतियों, नागरिकों से लेकर संस्थानों, को महसूस करना होगा कि सवाल पूछा जाना अच्छा और स्वस्थ है.
मुखर्जी ने कहा कि सिविल सोसाइटी, व्यापार या राजनीति के विभिन्न तबकों और सत्ता में लोग अपनी स्थिति के आधार पर बहस में हावी होने या इसकी दिशा को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं.
प्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाने की जिम्मेदारी निभाए मीडिया
उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में हमेशा ही बहुलता और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया गया है क्योंकि ये सदियों से लोगों को कई मतभेदों के बाद एकजुट रखते आए हैं. राष्ट्रपति ने कहा-
सत्ता में रहने वाले लोगों से सवाल किए जाने की आवश्यकता अपने देश और वास्तविक लोकतांत्रिक समाज को संरक्षित रखने के लिए जरुरी है.
उन्होंने कहा कि सवाल पूछने की भूमिका पारंपरिक रुप से मीडिया द्वारा निभाई गयी है. मुखर्जी ने कहा कि मीडिया को उठकर लोक कल्याण से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरुकता पैदा करनी चाहिए, सार्वजनिक और निजी संस्थानों, उनके प्रतिनिधियों को उनके कार्यों या निष्क्रियता के लिए जवाबदेह बनाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मीडिया का कर्तव्य है कि वह उन लाखों लोगों को जगह दे जो अब भी अन्याय, भेदभाव आदि का सामना करते हैं.
उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि अगर हम अपनी बात को छोड़कर दूसरों की बातों को सुनना बंद कर दें तो लोकतंत्र नुकसान में रहेगा. मुखर्जी ने पेड न्यूज के खतरे को लेकर भी चिंता जताई और समाचार संगठनों से कहा कि वो लोगों का भरोसा जीतने की फिर से कोशिश करें.
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