देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव (President Election) होंगे और 21 जुलाई को वोटों की गिनती होगी. इस चुनाव में 4809 मतदाता होंगे और वोटों की गिनती दिल्ली में की जाएगी. साथ ही इस चुनाव के लिए कोई भी राजनीतिक दल व्हिप जारी नहीं कर सकता है. ऐसे में आइए समझते हैं कि आखिर राष्ट्रपति चुनाव होता कैसे है और कब तक चुना जाना जरूरी होता है?
बता दें, पिछली बार 17 जुलाई साल 2017 में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे और वोटों की गिनती 20 जुलाई 2017 को हुई थी. इसमें रामनाथ कोविंद, मीरा कुमार को हराकर देश के 14वें राष्ट्रपति बने थे.
वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है. इससे पहले देश के 15वें राष्ट्रपति को चुना जाएगा. संविधान के अनुच्छेद 62 के अनुसार किसी भी राष्ट्रपति के कार्यकाल खत्म होने के पहले राष्ट्रपति का चुनाव हो जाना चाहिए.
राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी महत्वपूर्ण तारीखें
15 जून को अधिसूचना जारी होगी
29 जून को नामांकन की आखिरी तारीख
30 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी
02 जुलाई तक नामांकन वापसी का समय
18 जुलाई को होंगे चुनाव
21 जुलाई को आएंगे परिणाम
राष्ट्रपति चुनाव में 4809 वोट डाले जाएंगे
कोरोना नियमों का पालन किया जाएगा
वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद बतानी होगी
पहली पसंद नहीं देने पर वोट रद्द हो जाएगा
राजनीतिक दल कोई व्हिप जारी नहीं कर सकते
वोटिंग के लिए विशेष इंक वाला पेन मुहैया कराएगा EC
दिल्ली में होगी वोटों की गिनती
कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और राज्यों के विधायक वोट डालते हैं. इन सभी के वोट की वैल्यू अलग-अलग होती है. यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है. एक सांसद के वोट की कीमत 708 होती है. वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर करता है.
मान लीजिए कि चार राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं. अब हर एक विधायक और सांसद अपनी प्राथमिकता के आधार पर इन उम्मीदवारों को रैंक करेगा. चुनाव जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार के पास पहली प्राथमिकता के 50 फीसदी से ज्यादा वोट होने चाहिए.
अगर पहली प्राथमिकता के आधार पर कोई उम्मीदवार नहीं जीतता है, तो प्रिफरेंशियल सिस्टम इस्तेमाल होता है. सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और उसके वोट को अगली प्राथमिकता के आधार पर बांट दिया जाता है. ऐसा तब तक किया जाता है, जब तक किसी एक उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता.
एक विधायक के वोट का क्या मूल्य होता है?
विधायक के वोट का मूल्य राज्यों पर निर्भर करता है. राज्य की आबादी वोट का मूल्य तय करती है. मूल्य तय करने के लिए 1971 सेंसस के मुताबिक राज्य की कुल आबादी को कुल विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है और फिर इसे 1000 से गुणा किया जाता है. इस कैलकुलेशन से दिल्ली के एक विधायक के वोट का मूल्य 58, यूपी में 218 और सिक्किम में 7 होता है. इस तरह से कैलकुलेशन करने पर विधायकों के कुल वोट का मूल्य 5,49,495 आता है.
एक सांसद के वोट का क्या मूल्य होता है?
लोकसभा और राज्यसभा के सांसद के वोट का मूल्य एक ही होता है और ये 708 होता है. इसे तय करने के लिए विधायकों के वोट के कुल मूल्य को दोनों सदनों में चुने हुए सांसदों की संख्या से भाग दिया जाता है. 5,49,495 को 776 से भाग देने पर 708 का आंकड़ा आता है. चुने हुए सांसद और विधायकों के वोटों का कुल मूल्य हमें इलेक्टोरल कॉलेज के कुल वोट का आंकड़ा देता है, जो कि 10,98,903 है.
राष्ट्रपति को कौन चुनता है?
भारत के राष्ट्रपति को एक इलेक्टोरल कॉलेज चुनता है, जिसके सदस्य सभी विधानसभाओं के सदस्य (पुडुचेरी और दिल्ली समेत).
राज्यसभा और लोकसभा सदस्य
राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं है.
कुल मिलाकर विधानसभाओं के 4120 सदस्य और 776 संसद सदस्य राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं.
कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
सबसे पहले राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए. उसकी उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए. चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए. इलेक्टोरल कॉलेज के 50 प्रस्तावक और 50 समर्थन करने वाले होने चाहिए.
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