प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज यानी 30 अप्रैल को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के 100वें एपिसोड में देश को संबोधित किया.
उन्होंने सभी श्रोताओं को बधाई देते हुए कहा:
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार. आज 'मन की बात' का 100वां एपिसोड है. आप सब के हजारों पत्र मिले, लाखों संदेश आए और मैंने जितने पत्र पढ़ने की कोशिश की, उन पर एक नजर डाली और संदेशों को थोड़ा समझने की कोशिश की. कई बार आपकी चिट्ठियां पढ़ते-पढ़ते मैं भावुक हो गया, भाव-विभोर हो गया, भावनाओं में बह गया और फिर स्वयं को समेट भी लिया. मैं दिल से कहता हूं कि वास्तव में 'मन की बात' के सभी श्रोता, देशवासी बधाई के पात्र हैं.
उन्होंने कहा कि, साथियों, मेरे लिए 'मन की बात' दूसरों के गुणों की पूजा करने जैसा रहा है. मेरे एक मार्गदर्शक थे - श्री लक्ष्मणराव जी इनामदार. हम उन्हें वकील साहब कहकर संबोधित करते थे. वे हमेशा कहा करते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए. कोई भी आपके सामने हो, चाहे वह आपका हमवतन हो, चाहे वह आपका विरोधी हो, हमें उनके गुणों को जानने और उनसे सीखने का प्रयास करना चाहिए. उनके इस गुण ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है. 'मन की बात' दूसरों के गुणों से सीखने का बहुत बड़ा माध्यम बन गया है.
मेरे लिए मन की बात एक कार्यक्रम नहीं, आस्था, पूजा, व्रत है. जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं. प्रसाद की थाल लाते हैं. मेरे लिए मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है. मन की बात मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है. 'मन की बात' स्व से समष्टि की यात्रा है. अहं से वयं की यात्रा है. ये मैं नहीं तू ही संस्कार साधना है. मन की बात में कई विषयों का जिक्र करने के दौरान में मैं भावुक हो जाता था. आकाशवाणी के साथियों को इसे कितनी बार दोबारा रिकॉर्ड करना पड़ता था.
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