उत्तरप्रदेश के बांदा जिला मुख्यालय के कारागार से 4 बंदूकधारी सिपाही बाहर निकलते हैं. उनके पीछे-पीछे एक खास फॉर्मेशन में आते हैं दस कैदी, जिनके हाथ में पानी भरने के खाली बर्तन होते हैं. फिर यह काफिला पास के एक कुएं तक जाता है और पानी भरकर जेल में लौट आता है.
भयंकर सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में जेल प्रशासन ने कैदियों के लिए पेयजल की यह व्यवस्था बनाई है. यह जानते हुए भी कि जेल में दस्यु, ददुआ और ठोकिया जैसे गैंगों के खतरनाक कैदी सजा काट रहे हैं.
जेल प्रशासन पर कैदियों की सुरक्षा और व्यवस्था ठीक रखने का कानूनी दबाव है. इसके चलते कारागार अधीक्षक हरिबक्श सिंह ने यह तरीका ईजाद किया है.
पेयजल संकट से जूझ रहे कैदियों को पानी उपलब्ध कराने के लिए आईजी कारागार, जिलाधिकारी बांदा व जल संस्थान के अधिकारियों को सूचित कर टैंकर से जलापूर्ति कराने की मांग की गई थी, लेकिन संभव नहीं हो सका. लिहाजा, कैदियों को दस-दस के समूह में जेल से बाहर निकाल कर पानी लाने की छूट दी गई है. कोई कैदी भाग न जाए, इसके लिए 4 सशस्त्र पुलिसकर्मी तैनात किए जाते हैं.हरिबक्श सिंह, अधीक्षक, बांदा कारागार
50 फीट नीचे गिरा जलस्तर
जेल अधीक्षक मानते हैं कि इसमें खतरा है. लेकिन कैदियों की जान बचाना भी इस वक्त के हालात में किसी जोखिम से कम नहीं. वह बताते हैं कि कई बार ऐसा भी हुआ है, जब अदालतों में पेशी के दौरान खूंखार डकैत पुलिस को चकमा देकर भाग चुके हैं.
इस जेल में पेयजल संकट से निपटने के लिए दो सरकारी नलकूप, एक कुंआ और दो हैंडपंप हैं, लेकिन बारिश की कमी की वजह से जल स्तर 50 फीट नीचे गिर जाने से यह सभी जवाब दे चुके हैं.
लिहाजा, कारागार प्रशासन ने खतरनाक कैदियों को जेल गेट के बाहर लगे मात्र एक हैंडपंप से पानी लाने की खुली छूट दी गई है.
पेयजल संकट में सरकारी सिस्टम फेल
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाला बुंदेलखंड गर्मी का आगाज होते ही पेयजल संकट से जूझने लगता है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है, जब कारागार में भी कैदी बूंद-बूंद पानी को तरसे हों. 576 कैदियों की क्षमता वाली बांदा जेल में इस समय 1350 कैदी सजायाफ्ता हैं, इनमें दर्जनों डकैत दस्यु, ददुआ और ठोकिया गैंग के भी हैं.
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय के कारागार में पेयजल की सभी सरकारी सुविधाएं होने के बाद भी कैदी भीषण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं.
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