कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सोनभद्र नरसंहार में मारे गए लोगों के परिवार से मंगलवार को मुलाकात करेंगी. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस महासचिव पीड़ित परिवारों से मिलने के अलावा उम्भा में हो रहे विकास कार्यों के बारे में आदिवासी समुदाय के लोगों से बातचीत करेंगी. वो घटना के बाद राज्य सरकार की ओर से आदिवासियों की सुरक्षा के लिए किए गए इंतजामों के बारे में भी जानकारी लेंगी.
प्रियंका ने इससे पहले भी उम्भा जाने का प्रयास किया था, जहां गोंड समुदाय के 10 लोगों की फायरिंग में मौत हो गई थी. प्रियंका को प्रशासन ने उम्भा जाते समय मिर्जापुर में ही हिरासत में ले लिया था. उन्हें चुनार के किले में रात भर रखा गया. अगली सुबह आदिवासी समुदाय के लोगों ने प्रियंका से चुनार के किले में ही मुलाकात की.
इस बीच, प्रियंका के दौरे पर बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में सोनभद्र में हुई जमीन की धांधलियों के लिए प्रियंका को माफी मांगनी चाहिए. प्रियंका को अगर जनता की समस्याओें से ईमानदारी से सरोकार होता तो वो कांग्रेस सरकार के दौरान हुई जमीनों की धांधलियों पर पश्चाताप करतीं.
बीजेपी नेता चंद्रमोहन ने कहा कि प्रियंका का सोनभद्र दौरा कांग्रेस की ओछी राजनीति का एक उदाहरण है. उन्होंने कहा कि सोनभद्र में जमीनों का विवाद वर्ष 1955 से शुरू हुआ, जब कांग्रेस सरकार के दौरान ग्राम समाज की जमीन को एक निजी सोसायटी को पट्टा कर दिया गया था. कांग्रेस सरकार के दौरान सोनभद्र ही नहीं, प्रदेश के कई इलाकों में जमीनों की संस्थागत लूट हुई है.
इस मुद्दे से जनता का ध्यान बंटाने के लिए ही प्रियंका सोनभद्र में उम्भा गांव में हुई दुखद घटना के पीड़ितों से मिलने का नाटक कर रही हैं. प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस केवल लूट की राजनीति ही करना जानती है. कांग्रेस की इस लूट में एसपी और बीएसपी भी बराबर के भागीदार हैं.
सोनभद्र के उम्भा गांव में हुआ था नरसंहार
17 जुलाई को गुर्जर समुदाय के लोगों ने गोंड आदिवासियों पर जमीन के कब्जे को लेकर हमला कर दिया था. गांव के प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर ने एक बड़ी जमीन खरीदी थी. लेकिन इस पर पीढ़ियों से आदिवासी खेती कर रहे थे. प्रधान 200 से ज्यादा लोगों को लेकर इसी जमीन पर कब्जा करने के लिए गया था.
इस दौरान प्रधान के लोगों ने आदिवासियों पर बंदूक, डंडा, गंडासे और दूसरे हथियारों से हमला कर दिया. इसमें 10 लोगों की मौत हो गई. वहीं 24 से ज्यादा घायल हो गए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)