ADVERTISEMENTREMOVE AD

Census के लिए मुसीबत बन सकते हैं NSS से जुड़े लोगों पर हमले-प्रणब

सीएए -एनआरसी पर प्रदर्शनों के बीच एनएसएस के लिए आंकड़े इकट्ठा करने वाले गणनाकर्मियों पर हमले हुए हैं

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच नेशनल सैंपल सर्वे के लिए काम करने वालों पर हमलों को लेकर पूर्व चीफ स्टेस्टिसियन ने चिंता जताई है. उन्होंने आशंका जताई है इससे 2021 की जनगणना के लिए एनपीआर अपडेशन का काम खटाई में पड़ सकता है. 2021 की जनगणना के लिए हाउसिंग लिस्टिंग और एनपीआर अपडेशन का काम इस साल 1 अप्रैल से शुरू होना है. उन्होंने कहा कि इस तरह के हमलों से जनगणना की प्रक्रिया में दिक्कत आ सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमलों से जनगणना का काम आगे बढ़ाना मुश्किल

देश के पूर्व चीफ स्टेस्टिसियन और इंडिया प्रोग्राम ऑफ द इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर के कंट्री डायरेक्टर प्रणब सेन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सर्वे सिस्टम पहले ही 'गहरे संकट' में है और जनगणना के लिए जरूरी डेटा इकट्ठा करने वालों पर होने वाले हमलों से इस काम को आगे बढ़ाना काफी मुश्किल हो जाएगा. दरअसल सीएए और एनआरसी को लेकर लोगों में बढ़ रहे अविश्वास की वजह से कुछ राज्यों में नेशनल सैंपल सर्वे के लिए आंकड़ा इकट्ठा करने वा लोगों पर हमले हुए हैं.

0

हाउस लिस्टिंग के काम में आएगी रुकावट

प्रणब सेन ने कहा कि एनएसएस के फील्ड इनवेस्टिगेटर्स पर पहले भी हमले होते रहे हैं. हालांकि ये घटनाएं इक्का-दुक्का रही हैं. लेकिन इस बार एनपीआर की कार्यवाही हाउस लिस्टिंग से शुरू हो रही है. हाउस लिस्टिंग काफी अहम है क्योंकि इसी के आधार पर जनगणना के लिए काम करने वाले enumertion block दिए जाते हैं. पूरी जनगणना प्रक्रिया में ये केंद्र में होते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में अड़चन आती है तो जनगणना की प्रक्रिया ही संकट में पड़ जाएगी.

इकनॉमिक स्टेस्टिक्स पर बनी स्थायी कमेटी के चीफ प्रणब सेन ने कहा कि अगर एनपीआर अपडेशन के लिए फील्ड में जाने वाले लोगों पर हमला हुआ तो जनगणना के प्रोसेस के लिए परेशानी पैदा हो सकती है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रणब सेन ने कहा कि अगर आंकड़े इकट्ठा करने वालों का विरोध होता रहा और वे हमले के शिकार हुए तो जनगणना बेहद मुसीबत में पड़ जाएगी. उन्होंने कहा, '' आपके सामने एक ऐसी स्थिति आ सकती है, जहां आप सही ढंग से जनगणना नहीं कर सकते तो अगले दस साल तक परिवारों के बारे में कोई भी सर्वे विश्वसनीय नहीं रह जाएगा. क्योंकि परिवार के सभी सर्वे जनगणना पर निर्भर करते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दरअसल सीएए-एनआरसी के विरोध में देश में कई जगह प्रदर्शनों के बीच केरल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कुछ जगहों पर नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी NSSO के फील्ड कर्मचारियों पर हमले हुए हैं. इसके बाद से ही जनगणना की प्रक्रिया को लेकर चिंता पैदा होने लगी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×