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चारों धाम में 'चक्का जाम', केदारनाथ पहुंचे त्रिवेंद्र रावत का जोरदार विरोध

तीर्थ पुरोहित बोले कि 5 नवंबर को केदारनाथ पहुंच रहे पीएम नरेंद्र मोदी का भी विरोध कर काले झंडे दिखाए जाएंगे.

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उत्तराखंड के चारों धामों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्नारीथ में तीर्थ पुरोहितों ने हड़ताल कर दी है. आज से शुरू हुए इस आंदोलन के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रुद्रप्रयाग के दौरे पर हैं.

रावत जब केदारनाथ धाम पहुंचे तो तीर्थ पुरोहितों ने उनका भारी विरोध किया. वहीं मंत्री धन सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को भी तीर्थ पुरोहितों ने घेरा.

तीर्थ पुरोहितों की ओर से कहा गया कि रावत के विरोध की तरह ही आगामी 5 नवंबर को केदारनाथ पहुंच रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विरोध किया जाएगा और काले झंडे दिखाए जाएंगे.

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तीर्थ पुरोहितों के विरोध की क्या वजह है?

चारों धाम में आज से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन की वजह है देवस्थानम बोर्ड. साल 2020 में 15 जून 2020 के गजट नोटिफिकेशन के बाद त्रिवेंद्र सरकार में देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आया था. जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के चारों धामों सहित 51 मंदिरों को लिया गया है. जिसके बाद इस बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने विरोध करना शुरू किया.

पुरोहितों का कहना है कि बोर्ड का गठन होने से उनके अधिकार प्रभावित हो रहे हैं. जब से बोर्ड का गठन हुआ है, तब से इसका विरोध किया जा रहा है. लेकिन अभी तक सरकार ने बोर्ड को भंग करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है.

बता दें कि पहले भी जुलाई 2021 में आंदोलन हो चुका है. लेकिन तब सिंतबर में धन सिंह रावत के गंगोत्री पहुंचने पर यह आश्वासन दिया गया था कि बोर्ड को खत्म कर दिया जाएगा.

11 सितंबर को हमारी माननीय मुख्यमंत्री जी से एक वार्ता हुई थी जिसमें तय किया गया था कि देवास्थानम बोर्ड को 30 अक्टूबर तक खत्म कर दिया जाएगा. लेकिन अब तक उस पर सकारात्मक बात उत्तराखंड सरकार की ओर से नहीं आई है. हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर बोर्ड को वापस नहीं लिया गया तो 1 नवंबर से बड़ा आंदोलन होगा.
संतोष त्रिवेदी, तीर्थ पुरोहित

हड़ताल की वजह से चारों धाम में मंदिर की व्यवस्था ठप पड़ी 

चारों धाम में चल रहे आंदोलन का असर दिखने लगा है. ग्राउंड पर मौजूद क्वींट हिंदी ने पाया कि मंदिर की दैनिक क्रियाएं पूरी तरह से प्रभावित है. लोग ना तो पूजा-अर्चना कर पा रहे हैं और ना ही दर्शन हो पा रहे हैं साथ ही वहां का बाजार भी बद है और व्यवस्था प्रभावित है.

तीर्थ पुरोहितों में से एक संतोष त्रिवेदी ने कहा कि,

"हमने गंगोत्री में बंद का आव्हान किया है, सारे प्रतिष्ठान, बाजार बंद हैं. इसीलिए यहां घाट पर होने वाली पूजा बंद पड़ी है सारे लोग यहां आंदोलन के समर्थन में हैं."

क्वींट हिंदी से बात करते हुए तीर्थ पुरोहितों की ओर से यह चेतावनी दी गई है कि अगर आंदोलनकारियों कि बात नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में सरकार इससे भी बड़ा और उग्र आंदोलन देखेगी.

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद करने के बजाय सरकार अब तीर्थ पुरोहितों को भ्रमित कर रही है.

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