भारत के तीन फोटोग्राफरों को प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय के पुलित्जर बोर्ड ने दावा किया है कि उन्हें यह पुरस्कार उनके काम के चलते ही दिया गया है. साथ ही बोर्ड ने यह भी कहा है कि भारत ने कश्मीर की आजादी को रद्द किया है.
यह पुरस्कार चन्नी आनंद, मुख्तार खान और डार यासीन को फीचर फोटोग्राफी में मिला है. ये तीनों ही समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के लिए काम करते है. इन्होंने पिछले साल घाटी में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद की स्थितियों को अपने कैमरे में कैद कर लोगों तक पहुंचाया था. इस पुरस्कार की घोषणा सोमवार को की गई.
सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है पुलित्जर
अमेरिकी पत्रकारिता के लिए सबसे प्रतिष्ठित माना जाने वाला यह पुरस्कार विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ जर्नलिज्म से जुड़ा है, जहां निर्णय लेने के बाद विजेताओं की घोषणा की गई है, हालांकि इस बार इसे दूर से ही बैठे किया गया. पुरस्कार में एक प्रमाण पत्र के अलावा 15,000 डॉलर की राशि भी शामिल है. हालांकि पत्रकारिता के सार्वजनिक सेवा श्रेणी में विजेता को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाता है.
सार्वजनिक सेवा का पुरस्कार द एंकोरेज डेली न्यूज को अलास्का राज्य में पुलिसिंग के साथ मिलकर काम करने के चलते दिया गया.
'भारत ने कश्मीर की आजादी की रद्द'
तीनों को यह पुरस्कार देते हुए बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि "यह कश्मीर के विवादास्पद क्षेत्र में जिंदगी की तस्वीरों को उकेरने के लिए उन्हें दिया गया है, जहां भारत ने उनकी स्वतंत्रता को को रद्द किया और इस पूरे घटनाक्रम के दौरान वहां संचार ब्लैकआउट को लागू कर दिया गया था."
केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को पिछले साल रद्द किया, जिसके तहत कश्मीर को विशेषाधिकार दिए जाते थे.
इस दौरान भारतीय पत्रकारों को काम करने दिया गया, जबकि गैर-भारतीय पत्रकारों को रोका गया, लेकिन बोर्ड द्वारा कश्मीर की स्वतंत्रता को रद्द किए जाने के गलत दावे के साथ उनके इस तरह शब्दों से पुलित्जर बोर्ड की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
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