पुणे के वाकाड इलाके में रविवार, 24 जुलाई को रात करीब 10:30 बजे अभय गोंडाने और उनके दोस्त मन्नत शेख 'द बार हाइस्ट ' नाम के बार में गए थे, जहां मिस्ट LGBTQ फाउंडेशन ने पार्टी ऑर्गेनाइज की थी. मिस्ट LGBT फाउंडेशन पुणे स्थित एक आर्गेनाईजेशन है, इसका लक्ष्य LGBTQIA समुदाय को सशक्त करना है.
लेकिन अगले चार घंटों में अपने दोस्तों के बीच श्रेय के नाम से जाने जाने वाले 21 वर्षीय अभय गोंडाने की बिल्डिंग की दूसरी मंजिल से कूदने से मौत हो गई,जब वह बार के बाउंसरों से बचने की कोशिश कर रहा था. आरोप है कि बार बाउंसर उसके दोस्त और उसके साथ मारपीट कर रहे थे.
वाकाड पुलिस ने रेस्टोबार के मालिक और बाउंसरों के खिलाफ IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाने), 323 (चोट पहुंचाने की सजा), 143 (जो भी एक गैरकानूनी सभा का सदस्य है) के तहत मामला दर्ज किया है.
पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें रेस्टोबार के मालिक अनुराग गोले (29), मैनेजर गजानन खरात (33), बाउंसर आशुतोष संजय (31) और रोबुले अवल (21) और डीजे गणेश डागा (27) ) के नाम शामिल हैं. लेकिन पुलिस ने अभी तक पार्टी के आयोजकों - मिस्ट एलजीबीटी फाउंडेशन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.
क्विंट के साथ बातचीत में 24 साल की शेख (जो खुद को एक ट्रांस महिला आइडेंटिफाई करती हैं) ने कहा कि " हम लोग हर जगह जाने में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं, इसी वजह से हम समुदाय के सदस्यों की पार्टियों में यह सोचकर जाते हैं कि कि यह हमारे लिए एक सुरक्षित जगह होगी. किसी ने भी पुलिस या एम्बुलेंस को फोन करने की जहमत नहीं उठाई. अगर ऐसा होता तो आज श्रेय मेरे साथ होता.
'The Bar Heist' में आखिर हुआ क्या ?
शेख के अनुसार, कथित तौर पर विवाद तब शुरू हुआ जब रेस्टोबार के मालिक अनुराग गोले ने उन्हें बार टेबल पर डांस करने के लिए कहा. शेख ने बताया कि "ऐसा लग रहा था कि मालिक को ट्रांसजेंडरों से दिक्कत थी. वो मेरा मजाक उड़ा रहा था. जब उसने मुझे टेबल पर नाचने के लिए कहा, तो मैंने उसे सबक सिखाने के लिए ऐसा किया. लेकिन उसकी पत्नी ने मुझे नीचे उतरने के लिए कहा, और झड़प हो गई. लेकिन जब उसने दोबारा किया तो श्रेय ने उसे पीछे हटने को कहा."
"बस इसी पर बात बिगड़ी. देखते ही देखते अफरा-तफरी मच गई और हालात बेकाबू हो गए. बाउंसर हम दोनों को मारने लगे. चश्मा टूट गया और हमें चोट लग गई. हम पर कुर्सियां फेंकी गईं".शेख
शेख ने बताया कि मैंने बेहोश होने से पहले देखा कि श्रेय बाहर भाग रहा है और फिर मैं बेहोश हो गई. जब मैं उठी, तो बार लगभग खाली था. मुझे लगा कि वह बच गया होगा. लेकिन मुझे कितना बड़ा सदमा लगा इसकी आप कल्पना नहीं कर सकते जब मैंने उसे करीब आधे घंटे बाद खून में लथपथ पाया .
द क्विंट से बात करते हुए दो चश्मदीदों ने नाम न छापने की शर्त पर पूरी वारदात की पुष्टि की. एक चश्मदीद ने बताया कि, "बाउंसर उसे कुर्सी उठाकर उससे मार रहे थे. वो किसी तरह बस भागकर जान बचाना चाहता था. जब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा तो वो कूद गया. लेकिन जैसे ही वह जमीन पर गिरा, वह बुरी तरह घायल हो गया. वह खून से लथपथ पड़ा था. लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं गया. यहां तक कि आयोजक भी नहीं. हर कोई वहां से बाहर निकलने में लगा हुआ था."
'कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे ': MIST कोफाउंडर
मिस्ट एलजीबीटी फाउंडेशन के सह-संस्थापक श्याम ने द क्विंट से बातचीत में बताया कि उनका संगठन कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा है. वो पूरी तरह से शेख के साथ हैं.
श्याम ने कहा कि, "मैं उस दिन कार्यक्रम में नहीं था. मैंने जो कुछ सुना है, उससे श्रेय और बार के कर्मचारियों के बीच पहले कहासुनी हुई और फिर विवाद काफी आगे बढ़ गया. हमारे पास एक युवा टीम है और हमारे एक सदस्य को पैनिक अटैक आया था. अफरातफरी के कारण हमें जिस तरह से हरकत में फौरन आना चाहिए था वैसा हम नहीं कर पाए लेकिन हम कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. द क्विंट ने द बार हाइस्ट से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिली. जब आएगा तो इसे स्टोरी में अपडेट करेंगे.
'उसे खून से लथपथ पाया'
आधे घंटे बाद जब शेख ग्राउंड फ्लोर पर गई तो उसे न केवल बेहोशी की हालत में श्रेय मिला बल्कि उसके पास कॉल करने के लिए फोन भी नहीं था. "मैं मदद के लिए रो रही थी लेकिन कोई आगे नहीं आया. मैं खुद उसे किसी तरह खींचकर सड़क तक लाई. कुछ राहगीरों ने मुझे देखा, और आगे आकर पुलिस को फोन किया. तब तक, हम अहम वक्त गंवा चुके थे. शेख का कहना है कि घटना के बारे में हंगामा मच गया , सबको पता चल गया लेकिन तब भी आयोजक नहीं आए.
श्रेय के दोस्त राज के अनुसार, पुलिस उसे पहले आदित्य बिड़ला अस्पताल और बाद में ससून जनरल अस्पताल ले गई. जबकि राज पार्टी में नहीं थे, वह घटना के बाद अस्पताल पहुंचने वाले सबसे पहले शख्स थे.
राज सवाल करते हैं, "ससून जनरल अस्पताल में, पुलिस ने मुझे बताया कि वे श्रेय को बचा सकते थे अगर कोई मदद करता और उसे पहले लाता. काश मैं पार्टी में जाता. उसने मुझे मैसेज करके पूछा भी था कि आखिर मैं पार्टी में क्यों नहीं आया . क्यों मिस्ट एलजीबीटी से किसी ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया? क्या यह आयोजक की जिम्मेदारी नहीं है?"
'पूरा सीसीटीवी फुटेज क्यों जारी नहीं हुआ '
एक करीबी रिश्तेदार ने द क्विंट को बताया कि श्रेय पुणे के विश्रांतवाड़ी की एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. उनका परिवार नागपुर में रहता है. वो पूछते हैं - "हमारे दो सवाल हैं. जब झगड़ा हुआ, तो किसी ने पुलिस को क्यों नहीं बुलाया? बाद में, जब वह घायल हो गया, तो किसी ने एम्बुलेंस क्यों नहीं बुलाई? आखिरकार, मालिक गोले की पत्नी जो झगड़े में शामिल थी उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?"
रिश्तेदार ने पुलिस से रेस्टोबार के अंदर से सीसीटीवी फुटेज जारी करने की भी मांग की है.
वाकाड स्टेशन के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सत्यवान माने ने कहा कि " कॉल मिलते ही हम मौके पर पहुंच गए. जो कुछ हुआ उस पर हम सीसीटीवी फुटेज जुटा रहे हैं. लेकिन मैं पुष्टि कर सकता हूं कि घायल होने पर कोई भी श्रेय की मदद करने के लिए नहीं आया था. आगे की जांच जारी है."
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