पंजाब विधानसभा (Punjab Assembly) ने चंडीगढ़ (Chandigarh) के केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) को पंजाब राज्य में ट्रांसफर करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया, मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने शुक्रवार, 1 अप्रैल को विधानसभा में इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया.
यह प्रस्ताव केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों का विस्तार करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ है.
रिपोर्ट के मुताबिक विधानसभा सत्र के दौरान प्रस्ताव पेश करते हुए, सीएम मान ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के आधार पर, पंजाब को हरियाणा राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में पुनर्गठित किया गया था, और राज्य के कुछ हिस्सों को हिमाचल प्रदेश को सौंप दिया गया था.
प्रस्ताव में केंद्र से भारतीय संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांतों को बनाए रखने और चंडीगढ़ के प्रशासनिक मामलों में संतुलन को बिगाड़ने वाले निर्णय नहीं लेने के लिए भी कहा गया.
1966 में पंजाब के पुनर्गठन के समय, चंडीगढ़ को पंजाब के साथ-साथ हरियाणा की राजधानी होने का अनूठा गौरव प्राप्त था. फिर चाहे भले ही यह एक केंद्र शासित प्रदेश था और केंद्र के कब्जे में था.
गृह मंत्री की घोषणा
गृह मंत्री अमित शाह ने 27 मार्च को घोषणा की कि चंडीगढ़ में सरकारी कर्मचारियों को केंद्रीय सिविल सेवाओं के समान लाभ मिलेगा, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने इसकी निंदा की.
शाह ने चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम में कहा था, "मैं चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को एक अच्छी खबर देना चाहता हूं. आज से चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की सेवा शर्तों को केंद्रीय सिविल सेवाओं के साथ जोड़ दिया जाएगा."
शाह ने कहा कि नई नीति के कारण, केंद्र शासित प्रदेश में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़कर 60 वर्ष हो जाएगी और महिला कर्मचारियों को वर्तमान एक वर्ष से दो साल का चाइल्ड केयर अवकाश मिलेगा.
(आईएएनएस से इनपुट्स के साथ।)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)