पंजाब Punjab) के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को पंजाब की जगह दिल्ली को आंदोलन का गढ़ बनाने को कहा है. करीब 10 महीने पहले शुरू हुए विरोध प्रदर्शन (farmers' protest) के बाद पहली बार अमरिंदर सिंह ने इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की है कि, ये आंदोलन पंजाब की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
कैप्टन ने यह बात होशियारपुर जिले के मुखलियाना गांव में एक समारोह के दौरान कही. यहां वो सरकारी कॉलेज की आधारशिला रखने के लिए आये थे.
राज्य और उसके प्रशासन को अपने कैंपेन से बाहर रखें किसान - कैप्टन
अमरिंदर सिंह ने आंदोलन में भाग लेने वालों से नई दिल्ली में "केंद्र सरकार" पर ध्यान केंद्रित करने और राज्य और उसके प्रशासन को अपने कैंपेन से बाहर रखने को कहा है.
"यदि आप केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं तो अपना विरोध दिल्ली में शिफ्ट करें. अपने विरोध-प्रदर्शन से पंजाब को परेशान न करें...आज भी किसान राज्य में 113 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और यह हमारे विकास को प्रभावित कर रहा है"
किसानों की समस्याओं के प्रति पंजाब सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके प्रशासन ने हाल ही में किसानों से मिलने के बाद गन्ने की कीमतों में वृद्धि की थी. साथ ही उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि पंजाब सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मारे गए राज्य के प्रत्येक मृतक किसान के परिजनों को नौकरी देने के अलावा 5 लाख रुपये दिए हैं.
अकाली दल और केंद्र पर साधा निशाना
कैप्टन ने कृषि कानून के मुद्दे पर किसानों को डबल क्रॉस करने का आरोप लगाते अकाली दल पर तीखा हमला किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों को केंद्रीय मंत्री के रूप में हरसिमरत कौर बादल की सहमति से तैयार किया गया था, यहां तक कि पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल इन कानूनों के पक्ष में बोल रहे थे लेकिन जब उनका दाव उल्टा पड़ गया तो उन्होंने अपनी धुन पूरी तरह से बदल दी.
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 1950 से अब तक संविधान में 127 बार संशोधन किया जा चुका है. उन्होंने कहा “तो क्यों नहीं सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसानों की सहायत के उद्देश्य से कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक बार फिर से संविधान संशोधन किया जा सकता"
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