पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. खुद उन्हीं की सरकार यानी राज्य की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में सजा को बनाए रखने का समर्थन किया है. पंजाब सरकार की तरह से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट ने कहा है कि रोड रेज के मामले में शामिल नहीं होने का सिद्धू का बयान झूठा है.
1988 का है मामला?
दिसंबर 1988 को सिद्धू की कार पार्किंग को लेकर एक बुजुर्ग शख्स गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई थी. धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ गई मामला हाथापायी तक पहुंच गया. बुजुर्ग शख्स के साथ उसका एक रिश्तेदार भी था. जिसने आरोप लगाया था कि झड़प के दौरान सिद्धू ने उसके अंकल को धक्का दिया, जिसके बाद वो बेहोश गए. बेहोश गुरनाम को अस्तपाल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. इसके बाद सिद्धू के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया. सिद्धू के साथ उनके साथ मौजूद उनके दोस्त रुपिंदर सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ.
2006 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त को दोषी मानते हुए 3 साल की सजा सुनाई. सिद्धू ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.
पंजाब सरकार चाहती है सजा बरकरार रहे
इस मामले में सुनावई के दौरान पंजाब सरकार के वकील ने नवजोत सिंह सिद्धू की तीन साल की सजा बरकरार रखने की बात कही. दलील ये दी गई कि रोड रेज के इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी मौजूद था ऐसे में सिद्धू के बयान को सही नहीं माना जा सकता है. अब बारी है सिद्धू के वकीलों की, जो 17 अप्रैल को अपनी दलीले पेश करेंगे. बता दें कि पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में याचिका दाखिल कर दी है.
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