पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने लेबर एक्टिविस्ट नवदीप कौर की कैद का खुद ही संज्ञान लिया है. हरियाणा पुलिस ने कौर को गिरफ्तार किया था. कौर ने हिरासत के दौरान पुलिस पर शारीरिक और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है
जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने एक आदेश में कहा कि कौर की अवैध हिरासत को लेकर 6 फरवरी और 8 फरवरी तारीख की शिकायतें ईमेल के जरिए मिली हैं और जस्टिस जसवंत सिंह के आदेशों के तहत इन्हें आपराधिक रिट याचिका के तौर पर देखा गया है.
हरियाणा को एक नोटिस जारी किया गया है और अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी. हाई कोर्ट ने 12 फरवरी को एक छोटी सुनवाई की थी.
कौर को एक केस में मिली थी जमानत
11 फरवरी को नवदीप कौर के वकील जतिंदर काला ने क्विंट को बताया था कि कौर को एक केस में जमानत मिल गई है. हालांकि जमानत मिलने के बावजूद नवदीप दो अन्य केस में हरियाणा की करनाल जेल में ही रहेंगी.
कौर पर मजदूरों के अधिकारों के खिलाफ प्रदर्शन करने के मामले में कुल 3 केस दर्ज हैं. इनमें पहला केस दिसंबर 2020 की एक घटना से संबंधित है, जब नवदीप और मजूदर अधिकार संगठन के प्रदर्शनकारी श्रमिकों की मजदूरी की मांग को लेकर इंडस्ट्रियल यूनिट का घेराव कर रहे थे. इसी केस में नवदीप कौर को 11 फरवरी को जमानत मिल गई.
कौन हैं नवदीप कौर?
दलित श्रम अधिकार एक्टिविस्ट और मजदूर अधिकार संगठन (MAS) की सदस्य, 24 वर्षीय नवदीप 20 दिनों से ज्यादा वक्त से जेल में हैं. उनका संगठन उन वर्कर यूनियनों में शामिल है, जो केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के साथ प्रदर्शन का हिस्सा हैं.
नवदीप को 12 जनवरी को सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था और 2 फरवरी को उनकी जमानत खारिज हो गई.
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