कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर बुधवार को मेडिकल एक्सपर्ट के साथ चर्चा की. राहुल गांधी ने वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल आशीष झा और प्रसिद्ध स्वीडिश एपिडेमियोलॉजिस्ट जोहान गिसेके के साथ बातचीत की.
राहुल गांधी ने डॉ आशीष झा से कोरोना वायरस लॉकडाउन पर क्या विचार, इससे मनोविज्ञान पर क्या फर्क पड़ता है और ये लोगों के लिए कितना मुश्किल है जैसे सवाल किए. इसके जवाब में आशीष झा ने कहा,
लॉकडाउन से आप वायरस को धीमा कर सकते हैं. यह आपकी क्षमता को बढ़ाने का वक्त देता है. हालांकि, इसके लिए टेस्टिंग की जरूरी है. अगर लॉकडाउन का इस्तेमाल क्षमता बढ़ाने के लिए नहीं किया गया तो इससे काफी नुकसान हो सकता है.
राहुल गांधी ने मजदूरों को पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में सवाल किया. उन्होंने कहा इस वायरस की वजह से मजदूरों को पता नहीं उन्हें कब काम करने मिलेगा? इसके जवाब में प्रोफेसर झा ने कहा,
ये वायरस 2021 तक रहनेवाला है. लेकिन मजदूरों को मदद पहुंचाने की जरूरत है. ये एक दो महीने में जानेवाला नहीं है. इसलिए नुकसान कितना होनेवाला है ये किसी को पता नहीं, लेकिन नुकसान को कम करने का प्रयास किया जा सकता है.
राहुल ने प्रोफेसर झा से टेस्टिंग की रणनीति को लेकर सवाल किया. इस सवाल पर प्रोफेसर झा ने बताया,
साउथ कोरिया और ताइवान जैसे देश टेस्टिंग को लेकर अच्छा काम किया है. टेस्टिंग से ही ये पता चल सकता है कि किस क्षेत्र में वायरस का ज्यादा प्रभाव है. कोई भी शख्स जो अस्पताल आता है उसकी टेस्टिंग होनी जरूरी है फिर वह चाहे किसी भी कारण से आया हो. इसके अलावा कोरोना स्वास्थ्य कर्मियों की भी टेस्टिंग की जरूरत है.
राहुल गांधी ने युवाओं के स्वास्थ्य और गर्मी से कोरोना वायरस खत्म होगा जैसे तर्कों को लेकर सवाल किया.
युवा अगर स्वस्थ्य है तो उन्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें कोरोना वायरस नहीं होगा. ऐसे में उन्हें खुले में काम करने के लिए खास तैयारी करनी चाहिए. गर्मी से ये कोरोना वायरस रूक जाएगा ऐसा तर्क पूरी तरह से सही नहीं है. अगर लोग बाहर ज्यादा रहेंगे तो कोरोना अधिक फैलेगा. इस तरह की भी बात कही जा रही है कि बीसीजी टीके से कोरोना ठीक होगा तो मेरे हिसाब से ये खतरनाक हो सकता है. ये रिसर्च के बाद ही कहा जा सकता है.प्रोफेसर आशीष झा
राहुल ने सवाल किया कि, इसकी वैक्सीन कब आएगी? आगे क्या होनेवाला है? इसके जवाब में प्रोफेसर झा ने कहा,
तीन देशों को उम्मीद है कि वैक्सीन जल्द आएगी, लेकिन ये शायद अगले साल तक आ पाएगी. भारत को इसके लिए योजना बनानी होगी, क्योंकि भारत को 50 हजार से अधिक वैक्सीन की जरूरत है. हालांकि ये बीमारी हल्की है. क्योंकि 99 प्रतिशत लोगों में इसके लक्षण कम होते हैं केवल एक प्रतिशत लोगों पर इसका गंभीर असर पड़ता है. टेस्टिंग के लिए रणनीति बनानी होगी. उम्र के हिसाब से टेस्ट करने होंगे.
राहुल ने पूछा लॉकडाउन से आर्थिक मोर्चे पर क्या प्रभाव पड़ेगा? मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके जवाब में प्रोफेसर झा ने कहा,
स्वीडन में पहले पूरा शटडाउन था लेकिन इसे धीरे-धीरे हटा दिया है. भारत जैसे देशों के लिए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट पड़ सकती है. लॉकडाउन को हटाना होगा और बुजुर्गों का ख्याल रखना होगा. भारत को जितना हो सके, उतना अधिक लॉकडाउन में ढील देनी चाहिए.
कोविड-19 संकट से निपटने के लिए अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों के विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों के साथ कांग्रेस नेता राहुल ने बात की थी.
इससे पहले राहुल गांधी ने हाल ही में विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ बात की थी. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने मंगलवार को कहा था कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप से बचने के लिए लॉकडाउन पूरी तरह से विफल रहा है.
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